इतिहासप्राचीन भारतवाकाटक वंश
रुद्रसेन द्वितीय का इतिहास
पृथ्वीसेन प्रथम के बाद उसका पुत्र रुद्रसेन द्वितीय (385-390 ईस्वी) गद्दी पर बैठा। इस समय से वाकाटकों पर गुप्तों का प्रभाव बढा। रुद्रसेन द्वितीय ने अपने ससुर चंद्रगुप्त द्वितीय के प्रभाव में आकर अपने कुलागत शैव धर्म को छोङकर वैष्णव धर्म अपना लिया, जो चंद्रगुप्त का धर्म था।
दुर्भाग्यवश लगभग 30 वर्ष की अल्पायु में ही रुद्रसेन द्वितीय की मृत्यु हो गयी। इस समय उसके दो पुत्र दिवाकरसेन और दामोदरसेन अवयस्क थे। अतः प्रभावतीगुप्ता वाकाटक राज्य की संरक्षिका बनी।
Reference : https://www.indiaolddays.com