इतिहासभक्ति आंदोलनमध्यकालीन भारत
दक्षिण भारत में वैष्णव संतों द्वारा स्थापित चार मत
दक्षिण भारत में वैष्णव संतों द्वारा स्थापित चार मत
श्री संप्रदाय – इस संप्रदाय के संस्थापक रामानुजाचार्य थे, जिन्होंने विशिष्टाद्वैतवाद नामक मत की स्थापना की थी।
ब्रह्म सम्प्रदाय – इस संप्रदाय के संस्थापक माधवाचार्य थे, जिन्होंने द्वैतवाद नामक मत की स्थापना की थी।
रुद्र सम्प्रदाय – इस संप्रदाय के संस्थापक विष्णुस्वामी थे, जिन्होंने शुद्धद्वैतवाद मत की स्थापना की थी।
सनकदि संप्रदाय – इस संप्रदाय के संस्थापक निम्बार्काचार्य थे, जिन्होंने द्वैताद्वैतवाद मत की स्थापना की थी।
इन चार मतों के अलावा भी कई संप्रदाय थे, जिनका विवरण निम्नलिखित है –
- गुरु शंकराचार्य ने अद्वैतवाद की स्थापना की थी।
- रामानुजाचार्य ने विशिष्ट अद्वैतवाद की स्थापना की थी।
- निम्बार्काचार्य ने द्वैताद्वैतवाद की स्थापना की थी।
- माधवाचार्य ने द्वैतवाद की स्थापना की थी।
- भास्कराचार्य ने भेदाभादवाद की स्थापना की थी।
- श्रीकंठ ने शैव विशिष्ट अद्वैतवाद की स्थापना की थी।
- श्रीपति ने वीर शैव विशिष्ट अद्वैतवाद की स्थापना की थी।
- विज्ञान भिक्षु ने अविभाग अद्वैतवाद की स्थापना की थी।
