हूण शक्ति का उत्थान
हूण मध्य एशिया में निवास करने वाली एक खानाबदेश और बर्बर जाति थी। पारस्परिक कलह एवं जनसंख्या की वृद्धि के कारण वे अपना मूल निवास स्थान छोङकर नये आवास की खोज में निकल पङे। सर्वप्रथम 165 ईसा पूर्व में चीन की पश्चिमी सीमा पर निवास करने वाली यू-ची जाति को परास्त कर उन्होंने यू-ची लोगों को अपना मूल निवास स्थान छोङने के लिये विवश किया। उसके बाद वे स्वयं मंगोलिया से पश्चिम की ओर चल पङे।

हूणों की दो शाखायें निम्नलिखित थी-
- पश्चिमी शाखा,
- पूर्वी शाखा
पश्चिमी शाखा के हूण यूराल पर्वत पार करते हुए रोम पहुँचे जिनकी ध्वंसात्मक कृतियों ने शक्तिशाली रोम साम्राज्य की जङों को हिला दिया। हूणों की पूर्वी शाखा क्रमशः दक्षिण की ओर बढी तथा आक्सस नदी घाटी में बस गयी।
हूणों की पूर्वी शाखा ने भारत पर कई आक्रमण किये। हूणों की पूर्वी शाखा इतिहास में एफ्थ्लाइट अथवा श्वेत हूण के नाम से जानी जाती है। चीनी साहित्य में हूणों को हुंग-नु कहा गया है।
हूणों का पहला आक्रमण स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) के शासन काल में हुआ। स्कंदगुप्त के हाथों हूणों की हार हुई।
हूणों से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर
हूण कैसे लोग थे
हूणों की कितनी एवं कौन-कौन सी शाखायें थी
भारत पर जिस हूण शाखा ने आक्रमण किया वह कौनसी शाखा थी
चीनी साहित्य में हूणों को कहा गया है
Reference : https://www.indiaolddays.com