प्राचीन भारतइतिहास

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य इतिहास काल

प्रागैतिहासिक काल

इस काल में लिखित विवरण नहीं है, इस काल के विषय की जानकारी पाषाण के उपकरणों तथा मिट्टी के बर्तनों व खिलौनों से प्राप्त होती है । इस काल के बारे में  जानकारी  केवल पुरातात्तविक स्रोतों से मिलती है।

आद्य इतिहास

इस काल में  लेखक कला के  प्रचलन  के बाद भी  लेख पढे नहीं जा सके । इस काल के संबंध में जानकारी पुरातत्तव पर ही निर्भर है।

पृथ्वी की उत्पति 4 अरब वर्ष प्राचीन मानी जाती है जीवों की उत्पती बहुत बाद में मानी गई है तथा   मानव की उत्पती इस पृथ्वी पर लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व मानी जाती है।  ज्ञानी मानव  ( होमोसैपियंस ) का प्रवेश इस धरती पर आज से लगभग 30 या 40 हजार वर्ष पूर्व हुआ ।

आदि काल ( प्रागैतिहासिक काल ) को वैज्ञानिक शब्दावली में प्लाइस्टोसीन ( अभिनूतन युग ) कहा गया है।

पूर्व पाषाण काल में मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था ।

मानव सभ्यता के विकास में पाषाणों का बहुत महत्व रहा है। पाषाण से मानव ने भोजन संग्रहित किया , आवास बनाया , कला सीखी , आविष्कार किए, प्राचीनतम कलाकृतियां पाषाणों पर उत्कीर्ण की गई , पाषाणों से ही आविष्कारों की ऊर्जा अग्नि प्राप्त की । समस्त औजार , हथियार , आश्रय मानव ने पाषाणों से ही प्राप्त किए , इसी से आरंभिक मानव के इतिहास को पाषाण युग के नाम से जाना जाता है।

पाषाण युग में शनै-शनै क्रमिक रूप से मानव का जीवन अधिक व्यवस्थित होने लगा , इस आधार पर पाषाण युग को तीन भागों में विभाजित किया गया है –

  • पुरापाषाण काल (5 लाख – 10 हजार ई. पू. )
  • मध्य  पाषाण काल (10,000 हजार ई. पू. –  7000 हजार ई. पू. )
  • नवपाषाण काल ( 7000/6000 ई. पू. – 3000ई. पू. )

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य इतिहासकाल से संबंधित तथ्य

ज्ञानी मानव (होमोसैपियंस)का प्रवेश इस धरती पर आज से लगभग तीस या चालीस हजार वर्ष पूर्व हुआ।

पूर्व-पाषाण युग में मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था।

आग का आविष्कार पुरा-पाषाणकाल में हुआ।

पहिले का आविष्कार नव-पाषाणकाल में हुआ।

मनुष्य में स्थायी निवास की प्रवृत्ति नव-पाषाणकाल में जाग्रत हुई तथा उसने सबसे पहले कुत्ते को पालतू बनाया।

मनुष्य ने सर्वप्रथम ताँबा धातु का प्रयोग किया तथा उसके द्वारा बनाया जाने वाला प्रथम औजार कुल्हाङी (प्राप्ति स्थल – अतिरम्पक्कम) था।

कृषि का आविष्कार नव-पाषाणकाल में हुआ।

कृषि के लिये अपनाई गई सबसे प्राचीन फसल गेहूँ (पहली फसल) एवं जौ थी।

कृषि का प्रथम उदाहरण मेहरगढ से प्राप्त हुआ है।

कोल्डिहवा का संबंध चावल के प्राचीनतम साक्ष्य से है।

पल्लावरम् नामक स्थान पर प्रथम भारतीय पुरापाषाण संस्कृति की खोज हुई थी।

भारत में मनुष्य संबंधी सबसे पहला प्रमाण नर्मदा घाटी में मिला है।

भारत में शिवालिक की पहाङी से जीवाश्म का प्रमाण मिला है।

इनामगाँव ताम्रपाषाम युग की एक बङी बस्ती थी। इसका संबंध जोर्वे संस्कृति से है।

भारत में पूर्व प्रस्तर युग के अधिकांश औजार स्फटिक (पत्थर) के बने थे।

रॉबर्ट ब्रुस फुट पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 1863 ई. में भारत में पुरापाषाण कालीन औजारों की खोज की।

भारत का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदङो था, सिंधी भाषा में जिसका अर्थ मृतकों का टीला।

असम का श्वेतभ्रू गिबन भारत में पाया जाने वाला एकमात्र मानवाभ कपि है।

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