असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था

काँग्रेस के नागुपर अधिवेशन का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इस अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव की पुष्टि के साथ ही दो और महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये थे।
- पहले निर्णय के अंतर्गत काँग्रेस ने अब ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वशासन का अपना लक्ष्य त्याग कर, ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर और आवश्यक हो तो उसके बाहर स्वराज का लक्ष्य घोषित किया।
- दूसरे निर्णय के द्वारा काँग्रेस ने रचनात्मक कार्यक्रमों की एक सूची तैयार की जो इस प्रकार थी-
- सभी वयस्कों को काँग्रेस का सदस्य बनाना
- तीन सौ सदस्यों की अखिल भारतीय काँग्रेस समिति का गठन
- भाषायी आधार पर प्रांतीय काँग्रेस समितियों का पुनर्गठन
- स्वदेशी मुख्यतः हाथ की कताई-बुनाई को प्रोत्साहन
- यथासंभव हिन्दी का प्रयोग आदि
नागपुर अधिवेशन के बाद स्वराज्य के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, काँग्रेस ने अब केवल सांविधानिक उपायों के स्थान पर सभी शांतिमय और उचित उपाय जिसमें – केवल आवेदन और अपील भेजना ही शामिल नहीं था, अपितु सरकार को कर देने से मना करने जैसी सीधी कार्यवाही भी शामिल थी, को अपनाने पर जोर दिया।
कलकत्ता में काँग्रेस के विशेष अधिवेशन (1920) में पास हुये, असहयोग आंदोलन संबंधी प्रस्ताव की दिसंबर,1920 में नागपुर में हुए काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पुष्टि की गई।
काँग्रेस के नागुपर अधिवेशन का विशेष महत्त्व है, क्योंकि इस अधिवेशन में असहयोग के प्रस्ताव की पुष्टि के साथ ही दो और महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये थे।
- पहले निर्णय के अंतर्गत काँग्रेस ने अब ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर स्वशासन का अपना लक्ष्य त्याग कर, ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर और आवश्यक हो तो उसके बाहर स्वराज का लक्ष्य घोषित किया।
- दूसरे निर्णय के द्वारा काँग्रेस ने रचनात्मक कार्यक्रमों की एक सूची तैयार की जो इस प्रकार थी-
- सभी वयस्कों को काँग्रेस का सदस्य बनाना
- तीन सौ सदस्यों की अखिल भारतीय काँग्रेस समिति का गठन
- भाषायी आधार पर प्रांतीय काँग्रेस समितियों का पुनर्गठन
- स्वदेशी मुख्यतः हाथ की कताई-बुनाई को प्रोत्साहन
- यथासंभव हिन्दी का प्रयोग आदि
नागपुर अधिवेशन के बाद स्वराज्य के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, काँग्रेस ने अब केवल सांविधानिक उपायों के स्थान पर सभी शांतिमय और उचित उपाय जिसमें – केवल आवेदन और अपील भेजना ही शामिल नहीं था, अपितु सरकार को कर देने से मना करने जैसी सीधी कार्यवाही भी शामिल थी, को अपनाने पर जोर दिया।
काँग्रेस की नीतियों में आये परिवर्तन के विरोध में एनी बेसेन्ट,मुहम्मद अली जिन्ना, विपिन चंद्र पाल ,सर नारायण चंद्रावर और शंकर नायर ने काँग्रेस को छोङ दिया।
असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम के दो प्रमुख भाग थे, जिसमें एक रचनात्मक तथा दूसरा नकारात्मक था। रचनात्मक कार्यक्रमों में शामिल था-
- राष्ट्रीय विद्यालयों तथा पंचायती अदालतों की स्थापना
- अस्पृश्यता का अंत,हिन्दू -मुस्लिम एकता
- स्वदेशी का प्रसार और कताई-बुनाई
नकारात्मक कार्यक्रमों में मुख्य कार्यक्रम इस प्रकार थे-
- सरकारी उपाधियों प्रशस्ति पत्रों को लौटाना।
- सरकारी स्कूलों,कालेजों,अदालतों,विदेशी कपङों आदि का बहिष्कार
- सरकारी उत्सवों समारोहों तथा स्वदेशी का प्रचार
- अवैतनिक पदों से तथा स्थानीय निकायों के नामांकित पदों से त्याग पत्र देना।
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार तथा स्वदेशी का प्रचार
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