पानीपत का तृतीय युद्ध कब हुआ?

पानीपत(हरियाणा) भारतीय इतिहास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान है, यहाँ पर प्रसिद्ध तीन युद्ध लङे गये थे। जो परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
पानीपत का तृतीय युद्ध के कारण एवं परिणाम
पानीपत का प्रथम युद्ध (First Battle of Panipat)
पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच लड़ा गया था। बाबर की सेना ने इब्राहिम के एक लाख से ज्यादा सैनिकों को हराया। इस प्रकार पानीपत के प्रथम युद्ध ने भारत में बहलोल लोदी द्वारा स्थापित ‘लोदी वंश’ को समाप्त कर दिया।
पानीपत का द्वितीय युद्ध (Second Battle of Panipat)
पानीपत का द्वितीय युद्ध 5 नवंबर 1556 को अकबर और सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य के बीच लड़ा गया, सम्राट हेम चन्द्र उत्तर भारत के राजा थे तथा हरियाणा के रेवाड़ी से सम्बन्ध रखते थे। हेम चन्द्र ने अकबर की सेना को हरा कर आगरा और दिल्ली के बड़े राज्यों पर कब्जा कर लिया था। इस राजा को विक्रमादित्य के रूप में भी जाना जाता है। यह राजा पंजाब से बंगाल तक 1553-1556 से अफगान विद्रोहियों के खिलाफ 22 युद्धों में जीत चुका था और 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली में पुराना किला में अपना राज्याभिषेक था और उसने पानीपत की दूसरी लड़ाई से पहले उत्तर भारत में ‘हिंदू राज’ की स्थापना की थी। हेम चंद्र की एक बड़ी सेना थी, और शुरूआत में उनकी सेना जीत रही थी, लेकिन अचानक हेमू की आंख में एक तीर मारा गया और उसने अपनी इंद्रियों को खो दिया। एक हाथी की पीठ पर अपने राजा को न देखकर उसकी सेना भाग गई।
पानीपत का तृतीय युद्ध (Third Battle of Panipat) –
पानीपत का तृतीय युद्ध ( 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध अहमद शाह अब्दाली ने सदाशिवराव भाऊ को हराकर जीत लिया था। यह हार इतिहास मे मराठों की सबसे बुरी हार थी। इस युद्ध ने एक नई शक्ति को जन्म दिया जिसके बाद से भारत में अग्रेजों की विजय के रास्ते खोल दिये थे।