पानीपत के तृतीय युद्ध से अप्रत्यक्ष लाभ किसको हुआ?

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पानीपत के तृतीय युद्ध से अप्रत्यक्ष लाभ किसको हुआ?

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पानीपत के तृतीय युद्ध से अप्रत्यक्ष लाभ – अंग्रेजों को हुआ।

पानीपत के तृतीय युद्ध के कारण एवं परिणाम

अंग्रेजों का उदय भारत में इसलिए हुआ, क्योंकि भारत में राजनीतिक शून्यता छा गयी थी। एक लंबे समय तक, दिल्ली के शासक भारत की राजनीति पर छाये रहे। दिल्ली के बादशाह की प्रभुता, भारत की अन्य शक्तियाँ स्वीकार करती थी। जब तक केन्द्रीय सत्ता शक्तिशाली रही, भारत के उत्तर पश्चिम से आक्रमणों का भय नहीं रहा। सीमा सुरक्षा की अग्रगामी नीति अपना कर मुगलों ने काबुल तक अपना अधिकार बनाये रखा। किन्तु औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल सत्ता कमजोर हो गई और शक्तिशाली केन्द्रीय सत्ता के अभाव में सारा देश एक ऐसा अजायबघर बन गया जिसके सभी पिंजरों के द्वार खोल दिये हों। अतः देश में राजनीतिक शून्यता दिखाई देने लगी। राजनीति का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि ऐसी शून्यता भरने का अन्य शक्तियाँ प्रयास करती हैं। 18 वीं शताब्दी के मध्य में दो शक्तियों ने इस शून्यता को भरने तथा अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया। ये दो शक्तियाँ थी – मराठे और अहमदशाह अब्दाली

पानीप के युद्ध का महत्त्व एक भिन्न दिशा में भी जाता है। 18 वीं शता. के मध्य में दो शक्तियाँ – मराठे और अफगान, भारत में सर्वोच्च सत्ता को हस्तगत करने के लिये संघर्षरत थी। पानीपत में जहाँ मराठा शक्ति को जबरदस्त धक्का लगा, वहीं लङखङाते मुगल साम्राज्य का भी अंत हो गया। दोनों शक्तियों के पराभव ने अंग्रेजों के लिये मैदान साफ कर दिया। भारत की प्रमुख शक्ति (मराठा) के पराभव ने अंग्रेजों का मार्ग अधिक सरल बना दिया, जिस पर चलकर वे भारत में शक्तिशाली साम्राज्य का निर्माण कर पाये। इस दृष्टि से पानीपत का युद्ध भारतीय इतिहास में एक मोङ-बिन्दु प्रमाणित हुआ।

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