स्थायी बंदोबस्त के क्या परिणाम निकले ?

स्थायी बंदोबस्त (permanent settlement) का सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम यह निकला कि, जमींदार भूमि के स्वामी बन गए।
भूमि का स्थायी बंदोबस्त –1786 ई. में लार्ड कार्नवालिस को भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्त किया गया। जब वह भारत आया, उस समय कंपनी की शासन व्यवस्था में अनेक दोष विद्यमान थे। अतः कार्नवालिस ने शासन व्यवस्था के दोषों को दूर करने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार किये…अधिक जानकारी
- भूमि का स्थायी बंदोबस्त किसने व कब स्थापित किया था
- अंग्रेजों के राज में स्थायी भूमि बंदोबस्त या जमींदारी प्रथा क्या थी
स्थायी बंदोबस्त के परिणाम
- इस व्यवस्था से कंपनी को प्रथम लाभ यह हुआ कि कंपनी की आय निश्चित हो गई। उसे एक निश्चित तिथि को एक निश्चित राशि प्राप्त हो जाती थी। अतः कंपनी का बजट तैयार करने में सुविधा होती थी
- अब कंपनी को प्रत्येक किसान से भूमि राजस्व वसूल करने के उत्तरदायित्व से मुक्ति मिल गई। अब कंपनी को अपने साम्राज्य का विस्तार तथा व्यापार के विस्तार का समय मिल गया।
- अब जमींदार कंपनी के स्वामी भक्त बन गए और ब्रिटिश विरोधी जो आंदोलन हुए उसमें उन्होंने कंपनी के सहायता की। इन जमींदारों ने तन मन से अंग्रेजों की सेवा की।
- स्थाई बंदोबस्त बंगाल के जमींदारों के लिए एक वरदान सिद्ध हुआ। अब कंपनी ने उन्हें भूमि का स्वामी स्वीकार कर लिया। जमींदारों को पूरा भरोसा गया कि जब तक वह निश्चित राशि कंपनी को चुकाते रहेंगे तब तक वह भूमि के स्वामी बने रहेंगे। अब उन्हें और किसी प्रकार का कर नहीं चुकाना पड़ता था।
- स्थायी बंदोबस्त से यह भी लाभ हुआ कि कृषि में उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया। इसके फलस्वरूप बंगाल शीघ्र ही भारत का सबसे समृद्ध प्रांत बन गया। इसे व्यापार और उद्योग को भी बढ़ावा मिला।
Suman Changed status to publish अप्रैल 6, 2023