मुसलमानों में धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन (Religious and social movements among Muslims)
मुसलमानों में धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन – 19 वीं शताब्दी में सर सैयद अहमद खाँ ने मुसलमानों को अंग्रेजी शिक्षा अपनाने के लिए आंदोलन चलाया और 1875 में मोहम्मद ऐंग्लो-ओरियंटल कॉलेज की स्थापना की जो बाद में अलीगढ विश्वविद्यालय बन गया। सर सैयद अहमद खाँ नारी शिक्षा के समर्थक और पर्दे के विरोधी थे।

लेकिन सर सैयद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कट्टर विरोधी थे और हिन्दुओं से पृथक रहने और अंग्रेजों के प्रति वफादार रहने के पक्ष में थे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई
मुसलमानों में धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन के फलस्वरूप वहाबी आंदोलन ने धार्मिक कट्टरता पर जोर दिया। इसलिए इसे सुधार आंदोलन नहीं कहा जा सकता। अहमदिया आंदोलन और अन्य मुस्लिम संस्थाओं ने शिक्षा प्रसार की ओर तो कुछ ध्यान दिया, लेकिन धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का उल्लेखनीय प्रयत्न नहीं किया।
इस प्रकार मुसलमानों में इस काल में कोई विशेष धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन नहीं हुआ।
निष्कर्ष
19 वीं शताब्दी के धार्मिक और सामाजिक आंदोलन ने कम से कम हिन्दुओं में तो नवीन चेतना और स्फूर्ति का संचार किया। इस आंदोलन ने सरकार द्वारा कानूनों से कुरीतियों का निषेध करने की पृष्ठभूमि बनाई। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रत्यक्ष रूप से बहुत योगदान दिया। हिन्दुओं को अन्य धर्मों में जाने से रोका और समाज में व्याप्त कुरीतियों और कुप्रथाओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया।
