शिवाजी के उत्तराधिकारी छत्रपति संभाजी महाराज (1680-1689ई.)

संभाजी वीर शिवाजी के ज्येष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे, जिन्होंने 1680 से 1689 ई. तक राज्य किया। 24 से 32 वर्ष की आयु तक संभाजी राजा ने मुगलों की पाश्विक शक्ति से लडाई की एवं एक बार भी यह योद्धा पराजित नहीं हुआ। उसके दबाव से संपूर्ण उत्तर हिंदुस्तान मुक्त रहा।
शिवाजी की मृत्यु के बाद नवगठित मराठा साम्राज्य में आंतरिक फूट पङ गयी। शिवाजी की दो पत्नियों से उत्पन्न दो पुत्रों- संभाजी और राजाराम के बीच उत्तराधिकार का विवाद खङा हो गया।
संभा जी, राजाराम को गद्दी से उतारकर 20जुलाई 1680ई. को सिंहासनारूढ हुआ संभा जी आरंभ से ही अभिमानी क्रोधी और भोगविलासी था।अपनी मृत्यु के अवसर पर शिवाजी ने उसे(संभाजी की) हत्या करवा दी । उसकी राजधानी रायगढ पर कब्जा कर लिया तथा उसके पुत्र शाहू और पत्नी येसूबाई को गिरफ्तार कर रायगढ के किले में कैद करवा दिया।
संभाजी महाराज ने ‘शुद्धीकरणके लिए’ अपने राज्य में स्वतंत्र विभाग की स्थापना की थी।
छत्रपति संभाजी महाराज एवं कवि कलश ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनाए गए हरसूल के ब्राह्मण गंगाधर कुलकर्णी को शुद्ध कर पुनः हिंदू धर्म में परिवर्तित करने का साहस दिखाया। संभाजी राजा की इस उदारता के कारण बहुत से हिंदु पुनः स्वधर्म में आ गए।
14 वर्ष की आयु तक बुधभूषणम् (संस्कृत), नायिकाभेद, सातसतक, नखशिख (हिंदी) इत्यादि ग्रंथों की रचना करने वाले संभाजी विश्व के प्रथम बालसाहित्यकार थे।
धर्म के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले, हिंदवी स्वराज्य का विस्तार कर पूरे हिंदुस्तान में भगवा ध्वज फहराने की इच्छा रखने वाले शम्भाजी राजा इतिहास में अमर हो गए।
Reference : http://ww.indiaolddays.com