मद्रास की संधि (मद्रास की संधि)-
मद्रास की संधि(madraas kee sandhi)- यह संधि 1769 ई. में प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध के बाद हैदर अली और अंग्रेज की बीच हुई।

प्रथम मैसूर युद्ध (1767-69ई.) – त्रिगुट (मराठा,निजाम,अंग्रेज) के दो सदस्यों मराठों और निजाम को संतुष्ट कर अब हैदरअली को केवल अंग्रेजों से ही लङना शेष रह गया। सन 1767 में दोनों पक्षों में युद्ध छिङ गया। प्रारंभ में अंग्रेजों ने हैदरअली तथा निजाम की संयुक्त सेनाओं को पराजित कर दिया। अतः निराश होकर निजाम ने हैदरअली का साथ छोङ दिया और अंग्रेजों से संधि कर ली।
परंतु हैदरअली ने अँग्रेजों के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा। उसने अंग्रेजों को पराजित करके मंगलौर पर अधिकार कर लिया। इसके बाद हैदरअली मार्च, 1769 में मद्रास के निकट पहुँच गया।
अंग्रेजों से भयभीत होकर 1769 में हैदरअली से एक संधि कर ली, जिसे मद्रास की संधि कहते हैं।
मद्रास की संधि की शर्तें निम्नलिखित थी-
- इस संधि के अनुसार दोनों पक्षों ने एक दूसरे के प्रदेश लौटा दिए।
- अंग्रेजों ने हैदरअली को हर्जाने के तौर पर बहुत सा धन दिया।
- दोनों ने भविष्य में एक दूसरे को आक्रमण होने पर सहायता देने का वचन दिया।
