इलाहाबाद की संधि (ilahabad ki sandhi)-
इलाहाबाद की संधि – 1765 ई. में अवध के नवाब शुजाउद्दौला और अंग्रेजों के बीच एक संधि हुई जिसे इलाहाबाद की संधि कहते हैं।

इलाहाबाद की संधि के अनुसार शुजाउद्दौला को निम्नलिखित शर्तें स्वीकार करनी पङी-
- अवध के नवाब शुजाउद्दौला से कङा तथा इलाहाबाद के जिले छीन लिये गए तथा ये दोनों जिले मुगल सम्राट को दे दिए गए। अवध का प्रान्त शुजाउद्दौला को लौटा दिया गया।
- शुजाउद्दौला ने अंग्रेजों को क्षतिपूर्ति के लिए 50 लाख रुपये देना स्वीकार कर लिया।
- शुजाउद्दौला ने कंपनी को अवध में कर मुक्त करने की सुविधा प्रदान की।
- अंग्रेजों ने नवाब को सैनिक सहायता देना स्वीकार कर लिया परंतु उसे ही अंग्रेजी सेना का खर्चा वहन करना पङेगा।
1756 से 1772 तक बंगाल पर अंग्रेजी नियंत्रण स्थापना के विभिन्न सोपन
इलाहाबाद की संधि –1765 में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय तथा अंग्रेजों के बीच भी इलाहाबाद की संधि हुई जिसके अनुसार शाह आलम द्वितीय को निम्नलिखित शर्तें स्वीकार करनी पङी-
- अवध के नवाब शुजाउद्दौला से कङा और इलाहाबाद के जिलों को लेकर मुगल सम्राट शाह आलम को दे दिए गए।
- अंग्रेजों ने मुगल सम्राट को 26 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन देना स्वीकार कर लिया।
- मुगल सम्राट ने अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उङीसा की दीवानी सौंप दी। बंगाल का आधुनिक इतिहास,उङीसा के मंदिरों का इतिहास
