प्राचीन भारतइतिहासवैदिक काल
यजुर्वेद संहिता

यजुर्वेद हिन्दु धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ है तथा 4 वेदों में से एक वेद है।
इसमें गद्य तथा पद्य दोनों में मंत्र हैं लेकिन यह वेद मुख्य रूप से गद्यात्मक ग्रंथ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मंत्रों को यजुस कहा जाता है।
- यजुर्वेद में यज्ञों की विधियों का वर्णन मिलता है, यह वेद कर्मकाण्डीय ग्रंथ है।
- ऋग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु प्रदेश में हुई जबकि यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र प्रदेश में हुई।
यजुर्वेद के 2 भाग-
- कृष्ण यजुर्वेद – दक्षिण भारत में कृष्ण यजुर्वेद शाखा का उदय हुआ।
- शुक्ल यजुर्वेद-उत्तरी भारत में शुक्ल यजुर्वेद शाखा का उदय हुआ।
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यजुर्वेद की संहिता-
- कृष्ण यजुर्वेद की संहिता- कठ(काठक संहिता), तैतिरीय संहिता, मैत्रायणी संहिता।
- शुक्ल यजुर्वेद की संहिता- वाजसनेयी संहिता।
यजुर्वेद के पुरोहित- अध्वर्य।
यजुर्वेद का उपवेद- धनुर्वेद।
यजुर्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ-
- कृष्ण यजुर्वेद – तैतिरीय ब्राह्मण
- शुक्ल यजुर्वद – शतपथ ब्राह्मण
यजुर्वेद के उपनिषद-
- कृष्ण यजुर्वेद -तैतिरीय उपनिषद, कठोपनिषद(यम-नचिकेता संवाद), श्वेताश्वर उपनिषद(रुद्र से संबंधित), मैत्रायणी उपनिषद।
- शुक्ल यजुर्वेद- वृहदारण्यक उपनिषद , ईशोपनिषद।