बटलर समिति क्यों हुई थी
बटलर समिति (1927) – साइमन कमीशन के साथ ही ब्रिटिश सरकार ने हरकोर्ट बटलर, डब्लू. एस होल्डसवर्थ तथा एस.सी. पील की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जिसे सर्वोपरि सत्ता तथा भारतीय राज्यों के बीच संबंधों की जांच के लिये तथा उनके एवं ब्रिटिश भारत के बीच वर्तमान आर्थिक संबंधों को अधिक संतोषपूर्ण बनाने के रास्ते एवं साधन की सलाह देने के लिये कार्य करना था।
अधिकारिक रूप से इसे भारतीय राज्यीय समिति (इंडियन स्टेट्स समिति) कहा जाता था जो 16 भारतीय राज्यों में भेजी गई। सन् 1929 ई. में इसने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि सर्वोपरि सत्ता तथा राज्यों के बीच संबंध केवल नाममात्र का नहीं था, बल्कि इतिहास तथा मत पर आधारित परिस्थितियों एवं नीति द्वारा निर्मित एक क्रियाशील विकसित संबंध है।
बाद में इसने संबंध के ऐतिहासिक स्वरूप का समर्थन करते हुये कहा कि राज्य बिना अपनी रजामंदी के भारतीय विधायिका के प्रति जिम्मेदार ब्रिटिश भारत की किसी भी नई सरकार के साथ संबंध के लिये स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है।

बाद में साइमन कमीशन द्वारा बटलर समिति की उपलब्धियों को स्वीकृति दी गयी तथा इस बात पर सहमति हुई कि देशी राजाओं के साथ सर्वोपरि सत्ता का प्रतिनिधि वायसराय होगा, गवर्नर जनरल तथा उसकी परिषद नहीं। 1935 ई. के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट ने यह भी निर्धारित किया कि गवर्नर जनरल तथा वायसराय के कार्य वास्तव में अलग-अलग हैं।
निष्कर्ष – इस समिति के गठन का उद्देश्य परमसत्ता और राजाओं के बीच के संबंधों से जुड़े मुद्दों की जाँच करना था। इसका काम राजाओं के मध्य के संबंधों की बेहतरी के लिए सुझाव देना था, ताकि ब्रिटिश भारत और देसी राजाओं (भारतीय रियासतों) के बीच संतोषजनक संबंधों की स्थापना की जा सके।
References : 1. पुस्तक- भारत का इतिहास, लेखक- के.कृष्ण रेड्डी

Online References wikipedia : बटलर समिति