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अलाउद्दीन खिलजी का गुप्तचर विभाग कैसा था?

अलाउद्दीन खिलजी का गुप्तचर विभाग – अलाउद्दीन ने पुलिस और गुप्तचर विभाग को कुशल तथा प्रभावशाली बनाया। उसने पुलिस विभाग को ठोस रूप में संगठित किया। इसका मुख्य अधिकारी कोतवाल होता था। उसके अधिकार विस्तृत होते थे और उसका पद उत्तरदायित्वपूर्ण होता था। अलाउद्दीन के समय में कोतवाल का सुल्तान पर अत्यधिक प्रभाव था। अलाउद्दीन के कोतवाल अलाउलमुल्क ने उसको महत्त्वपूर्ण परामर्श देकर उसे अव्यावहारिक योजनाओं को त्याग देने के लिये बाध्य किया था। कोतवाल शांति व कानून का रक्षक था।

अलाउद्दीन ने स्वयं पुलिस विभाग में सुधार किए, नवीन पदों का सृजन किया और उन पर कुशल व्यक्तियों को नियुक्त किया। दीवान-ए-रियासत का नया पद बनाया जो व्यापारी वर्ग पर नियंत्रण रखता था। शहना या दंडाधिकारी भी इसी प्रकार का अधिकारी था। मुहतसिब जनसाधारण के आचार का रक्षक तथा देखभाल करने वाला था। वह बाजारों पर भी नियंत्रण रखता था और नाप-तौल का निरीक्षण करता था। अनेक समकालीन लेखकों ने इस पदाधिकारी का आदर से उल्लेख किया है।

अलाउद्दीन के गुप्तचर अधिकारी कुशल थे। उसने गुप्तचर पद्धति को पूर्णतया संगठित किया। उनकी कुशल गुप्तचर पद्धति जनसाधारण में भय का संचार करती थी। इस विभाग का मुख्य अधिकारी बरीद-ए-मुमालिक था। उसके अंतर्गत अनेक बरीद (संदेशवाहक या हरकारे) थे, जो शहरों में नियुक्त किए जाते थे। वे राज्य में घटने वाली प्रत्येक घटना की सूचना सुल्तान को देते थे। बरीद के अतिरिक्त अलाउद्दीन ने अनेक सूचनादाता नियुक्त किए जो मुनहियान या मुन्ही कहलाते थे। वे विभिन्न दर्जे के होते थे और सब वर्गों की जनता से संबंधित प्रत्येक बात की सूचना सुल्तान को देते थे। मुन्ही लोगों के घरों में प्रवेश करके गौण अपराधों को रोक सकते थे। बरनी गुप्तचर विभाग की कठोरता के संबंध में लिखता है कि कोई भी उसकी (अलाउद्दीन की) जानकारी के बिना हिल नहीं सकता था, और मलिकों, अमीरों, अधिकारियों व महान व्यक्तियों के यहाँ जो भी घटना घटती थी उसकी सूचना कालांतर में सुल्तान को दे दी जाती थी। गुप्तचरों की गतिविधियों के कारण वे अपने घरों में रात-दिन काँपते रहते थे। बरनी का वर्णन अतिशयोक्तिपूर्ण हो सकता है परंतु इससे अलाउद्दीन की गुप्तचर प्रणाली की कुशलता का अनुमान होता है। अमीर, व्यापारी और जनसाधारण, सब लोग बरीद व मुन्हियों से भयभीत रहते थे। मूलतः इन्हीं अधिकारियों को अलाउद्दीन के बाजार-नियंत्रण की सफलता का श्रेय जाता है।

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