इतिहासराजस्थान का इतिहास

धौलपुर का जन आंदोलन

धौलपुर का जन आंदोलन – आर्य समाज के स्वामी श्रद्धानंद ने 1918 से धौलपुर में निरंकुश राजतंत्र के विरुद्ध अभियान चलाया। सरकार के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर कठोर सजाएँ दी। स्वामीजी की मृत्यु के बाद आंदोलन शिथिल अवस्था में चलता रहा। 1936 ई. में कृष्णदत्त पालीवाल के नेतृत्व में धौलपुर राज्य प्रजा मंडल की स्थापना की गयी। राज्य सरकार किसी राजनीतिक संगठन को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं थी, अतः दमन नीति का सहारा लिया गया। प्रजा मंडल ने जनता को राजनीतिक प्रश्नों पर शिक्षित करने तथा उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिये कार्य करने की अनुमति चाही। किन्तु सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। अप्रैल, 1940 में भंदई में पूर्वी राजस्थान के राज्यों के राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं का एक सम्मेलन हुआ जिसमें राजाओं के नेतृत्व में उत्तरदायी शासन स्थापित करने की माँग की गयी। सम्मेलन में यह भी कहा गया कि द्वितीय विश्वयुद्ध प्रजातंत्र और मानवीय स्वतंत्रता के लक्ष्यों को सुरक्षित रखने के लिये लङा जा रहा है और शासक वर्ग दिल खोलकर इंग्लैण्ड की सहायता करते रहे हैं, लेकिन राजस्थान के शासक उसी प्रकार के अधिकार अपने राज्य की जनता को नहीं दे रहे हैं। नवम्बर, 1946 ई. में राज्य प्रजा मंडल ने अपना एक अधिवेशन तासिमों गाँव में किया। सरकार ने पुलिस और कुछ शरारती तत्त्वों के माध्यम से अधिवेशन नहीं होने दिये। अत्याचार और दमन अपनी पराकाष्ठा पर था। जब समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों ने वास्तविकता जानने का प्रयास किया तो उन्हें राज्य से निकाल बाहर किया गया। आतंक फैलाने की दृष्टि से तासिमों गाँव के निवासियों पर पुलिस ने गोली चला दी। अखिल भारतीय देशी राज्य लोक परिषद ने पंडित हीरालाल शास्त्री और गोकुलभाई भट्ट को वास्तविक स्थिति का पता लगाने भेजा। उन्हें यहाँ स्थिति अनुमान से भी अधिक खराब दिखाई दी। भारत स्वतंत्र होने के बाद भी, जब नवम्बर, 1947 ई. में प्रजा मंडल ने धौलपुर में अपना सम्मेलन करना चाहा, तो महाराज ने इसकी अनुमति नहीं दी। प्रजा मंडल महाराजा के आदेशों की उपेक्षा करते हुये सम्मेलन आयोजित करवा दिया। पुलिस और असामाजिक तत्वों से प्रजा मंडल के कार्यकर्त्ताओं की पिटाई करवायी गयी। अंत में जनमत के दबाव को देखते हुए महाराजा ने तासिमों काण्ड की जाँच के आदेश दिये तथा 4 मार्च, 1948 ई. को संवैधानिक सुधार कर उत्तरदायी शासन स्थापित करना स्वीकार किया। किन्तु इसी महीने के अंत में मत्स्य संघ स्थापित हो गया।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास

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