पानीपत का तृतीय युद्ध के प्रमुख दो कारण निम्नलिखित हैं-
1.) 1752 की मराठा-मुगल संधि से अहमदशाह अब्दाली नाराज था।
2.) मराठों द्वारा दिल्ली तथा पंजाब पर आक्रमण करने से भी अहमदशाह अब्दाली मराठों से नाराज था।
पानीपत का तृतीय युद्ध कब और किस-किस के बीच लङा गया -14 जनवरी, 1761 ई. को पानीपत का तृतीय युद्ध लङा गया। यह युद्ध मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच लङा गया।
पानीपत का तृतीय युद्ध के कारण एवं परिणाम –
- भारत में राजनीतिक शून्यता
- दिल्ली पर प्रभाव जमाने हेतु संघर्ष
- अब्दाली का भारत की राजनीति में हस्तक्षेप
- अब्दाली की सैन्य सफलताएँ
- उत्तर भारत की अस्थिर राजनीति
- पंजाब में अफगान-मराठा संघर्ष
परिणाम
पानीपत के तीसरे युद्ध के परिणामों के बारे में इतिहासकारों में भारी मतभेद है। सुप्रसिद्ध मराठा इतिहासकार सरदेसाई का मत है कि इसमें संदेह नहीं कि जहाँ तक जनशक्ति का संबंध है, उन्हें इस युद्ध से भारी क्षति पहुँची, पर इसके अलावा मराठों के भाग्य पर इस विपत्ति का वस्तुतः कोई प्रभाव न पङा।
नई पीढी के लोग शीघ्र ही, पानीपत में होने वाली क्षति की पूर्ति करने के लिये उठ खङे हुए। अतः यह सोचना कि पानीपत के युद्ध ने मराठों की उठती हुई शक्ति को पूरी तरह से कुचल दिया, ठीक नहीं होगा। इसके विपरीत यदुनाथ सरकार की मान्यता है कि भारतीय इतिहास का एक निरपेक्ष सर्वेक्षण यह दिखा देगा कि बिना किसी प्रमाण पर आधारित वीरता तथा गौरव का यह दावा कितना कमजोर हे। इस भयंकर संघर्ष में मराठों को बुरी तरह से मार खानी पङी…अधिक जानकारी