इतिहासराजस्थान का इतिहास

राणा साँगा की कठिनाइयाँ

साँगा की कठिनाइयाँ – साँगा मेवाङ का शासक बन तो गया, लेकिन उसने अनुभव कर लिया कि उसका राज्य चारों ओर से शत्रुओं से घिरा हुआ है। दिल्ली पर इस समय सिकंदर लोदी (1489-1517ई.) का शासन था। यद्यपि उसका अधिकांश समय विद्रोही अफगान सरदारों का दमन करने में ही व्यतीत हुआ, फिर भी उसने बिहार को जीतकर सल्तनत को मजबूत बनाया था।

यद्यपि वह ग्वालियर नहीं जीत सका, परंतु उसने धौलपुर, अवन्तगढ, नरवर और चंदेरी पर अधिकार कर सल्तनत की सीमाओं का विस्तार किया। उसने नागौर के मुस्लिम शासक मुहम्मदखाँ को अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिये विवश कर राजस्थान पर भी अपना प्रभाव स्थापित करने का प्रयास किया। उसने रणथंभौर जीतने का भी असफल प्रयास किया। उसकी मृत्यु के बाद इब्राहीम लोदी दिल्ली के तख्त पर आसीन हुआ।

उसका प्रारंभिक समय तो अपने विरोधियों का दमन करने में बीता और जब उसने राजस्थान की ओर कदम बढाया तो उसे साँगा के हाथों पराजित होना पङा।

साँगा की कठिनाइयाँ

साँगा के राज्यारोहण के समय मालवा में नासिरुद्दीन का शासन था।1511ई. में नासिरुद्दीन की मृत्यु के बाद वहाँ उत्तराधिकार का संघर्ष शुरू हो गया। कुछ अमीरों के सहयोग से महमूद खिलजी द्वितीय मालवा का सुल्तान बना, परंतु कुछ ही दिनों बाद उसके विरोधी अमीरों के गुट ने उसके छोटे भाई साहिबखाँ को सुल्तान बना दिया। चंदेरी के राजपूत मेदिनीराय की सहायता से महमूद खिलजी ने पुनः मालवा की सल्तनत हथिया ली। इस पर साहिबखाँ के सहयोगी अमीरों ने दिल्ली और गुजरात से सहायता प्राप्त की, तो मेदिनीराय ने महाराणा साँगा की सहायता प्राप्त की। इस प्रकार मालवा के सुल्तान अपने अस्तित्व की रक्षा के लिये संघर्षरत थे।

गुजरात में महमूद बेगङा का शासन था। उसके अंतिम वर्ष पुर्तगालियों के वर्चस्व को समाप्त करने में व्यतीत हुए। नवम्बर, 1511ई. में उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र मुजफ्फरशाह द्वितीय गुजरात का शासक बना। उसने मालवा की राजनीति में खुलकर हस्तक्षेप किया तथा मेदिनीराय के प्रभाव को समाप्त करने में गहरी रुचि ली। परिणामस्वरूप उसे मेवाङ के महाराणा साँगा से संघर्ष करना पङा।

गुजरात के सुल्तानों ने मेवाङ के क्षेत्रों को अधिकृत करने की अपनी नीति को जारी रखा।इस विवरण से स्पष्ट है कि दिल्ली, मालवा और गुजरात के अलग-अलग मुस्लिम राज्यों से साँगा को विशेष भय नहीं था, किन्तु इन तीनों के संयुक्त होने पर मेवाङ राज्य की भारी क्षति हो सकती थी। अतः साँगा ने अपने पूर्व के आश्रयदाता कर्मचंद पंवार को अजमेर, परबतसर, माण्डल, फूलिया, बनेङा आदि परगने जागीर में देकर उसे उत्तरी-पूर्वी सीमा की सुरक्षा के लिये सिरोही और बागङ के शासकों से मैत्री संबंध स्थापित करने का प्रयास किया।

साँगा के राज्यारोहण के समय, जहाँ तक राजस्थान की स्थिति का प्रश्न है, वह भी कोई अच्छी नहीं थी। इस समय मारवाङ के राठौङ, आमेर के कच्छवाहा तथा हाङौती के हाङा चौहान अपनी-अपनी सीमाओं का विस्तार करने में लगे हुए थे। 1508 ई. में राव गांगा मारवाङ का शासक बना जिसने राठौङों की अन्य शाखाओं – मेङता, बीकानेर आदि को अपने प्रभुत्व में लाने का प्रयास किया। बीकानेर के राठौह अपने को मारवाङ के राठौङों से वरिष्ठ समझते थे।

अतः वरिष्ठता के प्रश्न को लेकर दोनों में संघर्ष आरंभ हो गया। 1505 ई. में लूणकरण बीकानेर का शासक बना। उसने ददेरवा को जीतकर अपने राज्य में मिलाया तथा अपने विद्रोही सामंतों को शासन की सर्वोपरि सत्ता मानने को विवश किया। उसने फतेहपुर-शेखावाटी के कायमखानी मुसलमानों को परास्त किया तथा भटनेर के राजपूतों का राज्य छीनकर अपने राज्य में मिला लिया। इधर 1510 ई. में पृथ्वीराज आमेर का शासक बना, जिसने अपना राज्य अपने नौ पुत्रों में विभाजित कर उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों की सीमाओं को बढाने हेतु प्रोत्साहित किया।

हाङौती के शासकों को कभी मालवा और कभी मेवाङ के आक्रमणों तथा राजनीतिक दबाव का निरंतर सामना करना पङ रहा था। फिर भी वे अपनी शक्ति संगठित करने तथा अपनी सीमाओं का विस्तार करने के लिये प्रयत्नशील थे।

राजस्थान के राजपूत शासकों की विस्तारवादी नीति का शिकार मेवाङ को भी बनना पङा। महाराणा उदा के शासनकाल में और उसके बाद महाराणा रायमल के शासनकाल में मेवाङ के अधीन बहुत से क्षेत्रों पर पङौसी राजपूत शासकों ने अधिकार कर लिया था और महाराणा रायमल ने उन क्षेत्रों को पुनः हस्तगत करने का कोई प्रयास नहीं किया।

अतः महाराणा साँगा का प्रथम कार्य मेवाङ के उन खोये हुये प्रदेशों को पुनः अधिकृत करना था। उसके बाद राजस्थान के राजपूत शासकों पर मेवाङ का प्रभुत्व स्थापित करना था ताकि इन राजपूत शासकों की ओर से निश्चिन्त होकर मालवा, गुजरात और दिल्ली के शासकों की विस्तारवादी नीति पर अंकुश लगा सके।

References :
1. पुस्तक - राजस्थान का इतिहास, लेखक- शर्मा व्यास
Online References
wikipedia : सांगा

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