इतिहासप्राचीन भारतमौखरी राजवंश

मौखरि राजवंश का राजनैतिक इतिहास

चक्रवर्ती गुप्तों के काल में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो मौखरिकुल उनके सामंतों के रूप में निवास कर रहे थे। बिहार की मौखरि शाखा के तीन अभिलेख बराबर और नागार्जुनी पहाङियों की गुफाओं से प्राप्त हुए हैं।इनमें इस शाखा के तीन राजाओं के नाम मिलते हैं – यज्ञवर्मा, शार्दूलवर्मा तथा अनंतवर्मा

बराबर एवं नागार्जुनी पहाङियाँ

हूणों का प्रथम आक्रमण किस काल में हुआ था ?

मौखरियों की एक अन्य शाखा राजस्थान में निवास करती थी, जिसका उल्लेख बङवा यूप अभिलेख में मिलता है। इनका काल तीसरी शता. ईस्वी माना जाता है। वे संभवतः शकों अथवा नागों के सामंत थे। मौखरियों की गंगा-यमुना के दोआब में शासन करने वाली शाखा ही सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इनकी राजधानी कन्नौज थी।

शक कौन थे ?

कन्नौज का मौखरि राजवंश के इतिहास की जानकारी के साधन

हरिवर्मा

कन्नौज के मौखरियों का इतिहास महाराज हरिवर्मा के समय से प्रारंभ होता है। उसने 510 ईस्वी से अपना शासन प्रारंभ किया था। महाराज की उपाधि से यह पता चलता है, कि चक्रवर्ती गुप्त वंश की अधीनता स्वीकार करता था।

हरहालेख में उसकी शक्ति की प्रशंसा की गयी है। उसके बारे में यह कहा गया है, कि उसका यश चारों समुद्रों तक व्याप्त था। इसके अलावा वह अपने शत्रुओं के लिये ज्वालामुखी के समान था। वह वर्णाश्रम व्यवस्था का संस्थापक तथा प्रजा के कष्टों को दूर करने वाला था।

आदित्यवर्मा

आदित्यवर्मा हरिवर्मा का पुत्र और उत्तराधिकारी था। असीरगढ के लेख में उसकी माता का नाम भट्टारिकादेवी जयस्वामिनी मिलता है।उसका विवाह उत्तरगुप्तवंशी राजकुमारी हर्षगुप्ता के साथ हुआ।

ईश्वरवर्मा

आदित्यवर्मा का पुत्र ईश्वरवर्मा शासक हुआ। जौनपुर लेख में उसकी शक्ति की प्रशंसा करते हुए उसे राजाओं में सिंह के समान (क्षितिभुजां सिंह) कहा गया है, जिसने धारा (मालवा), आंध्र एवं रैवतक के शासकों को पराजित किया था।उसका विवाह गुप्तकन्या उपगुप्ता के साथ हुआ था।

इस प्रकार हम कह सकते हैं, कि तीसरी पीढी तक मौखरियों तथा उत्तरगुप्तों के संबंध मैत्रीपूर्ण रहे। प्रारंभिक तीनों शासकों ने महाराज की उपाधि ग्रहण की जो स्पष्टतः उनकी सामंत स्थिति का द्योतक है।

ईशानवर्मा

मौखरियों को सामंत स्थिति से स्वतंत्र स्थिति में लाने का श्रेय मौखरि शासक ईशानवर्मा को जाता है। जिसने 550 से 574 ईस्वी तक शासन किया था।…अधिक जानकारी

सर्ववर्मा

ईशानवर्मा के बाद सर्ववर्मा मौखरिवंश का राजा बना। यह सर्ववर्मा ईशानवर्मा का पुत्र था। हरहा लेख में सूर्यवर्मा नामक उसके एक अन्य पुत्र का भी उल्लेख किया गया है।…अधिक जानकारी

अवंतिवर्मा

सर्ववर्मा के बाद उसका पुत्र अवंतिवर्मा शासक बना।…अधिक जानकारी

ग्रहवर्मा

अवंतिवर्मा का पुत्र ग्रहवर्मा था, जो उसका उत्तराधिकारी अर्थात मौखरि वंश का अगला शासक बना। ग्रहवर्मा राजसिंहासन पर 600 ईस्वी में बैठा तथा 605 ईस्वी तक शासन किया।…अधिक जानकारी

सुचंद्रवर्मा

मौखरि वंश का पतन

Reference : https://www.indiaolddays.com

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