मध्यकालीन भारतइतिहासमराठा साम्राज्य

छत्रपति शाहूजी महाराज का इतिहास(1707-1748ई.)

chhatrapati shahuji

औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्र आजमशाह ने 8मई 1707 ई. को शाहू को कैद से मुक्त कर दिया।

परंतु कैद से मुक्त होने के बाद जब शाहू सतारा पहुंचा, तब तक  ताराबाई ने शिवाजी द्वितीय को छत्रपति घोषित कर दिया था।

12 अक्टूंबर, 1707ई. को शाहू तथा ताराबाई के मध्य खेङा का युद्ध हुआ जिसमें शाहू, बालाजी विश्वनाथ की मदद से विजयी हुआ।

1708ई. में शाहू ने सतारा पर अधिकार कर लिया।अब मराठा राज्य दो विरोधी उपराज्यों में विभक्त हो गया। एक राज्य सतारा के प्रमुख शाहू थे और दूसरे राज्य कोल्हापुर के प्रमुख शिवाजी द्वितीय या वस्तुतः ताराबाई थी।

शिवाजी द्वितीय की मृत्यु के बाद राजाराम का दूसरा पुत्र शंभा जी द्वितीय कोल्हापुर का शासक बना।इन दो प्रतिद्वन्दी शक्तियों (सतारा तथा कोल्हापुर) के मध्य शत्रुता अंततः 1731ई. में वार्ना की संधि के द्वारा समाप्त हुई।

इस संधि में यह व्यवस्था की गई कि शंभा जी द्वितीय मराठा राज्य के दक्षिणी भाग पर जिसकी राजधानी कोल्हापुर थी, शासन करे तथा उत्तरी भाग जिसकी राजधानी सतारा थी, पर शाहू शासन करे।

1708ई. में अपने सिंहासनारूढ होने के अवसर पर शाहू ने बालाजी विश्वनाथ को सेनाकर्ते (सेना के व्यवस्थापक) का पद प्रदान किया तथा अंततः 1713ई. में उसे पेशवा के पद पर आसीन किया।

पेशवा के पद पर बालाजी विश्वनाथ की नियुक्ति के साथ ही यह पद शक्तशाली हो गया, बालाजी और उसके उत्तराधिकारी राज्य के वास्तविक शासक बन गये।इसके बाद छत्रपति नाममात्र का ही शासक होकर रह गया।

Reference:https://www.indiaolddays.com/

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