इतिहासप्राचीन भारतमौखरी राजवंश

मौखरि शासक सर्ववर्मा का इतिहास

ईशानवर्मा के बाद सर्ववर्मा मौखरिवंश का राजा बना। यह सर्ववर्मा ईशानवर्मा का पुत्र था। हरहा लेख में सूर्यवर्मा नामक उसके एक अन्य पुत्र का भी उल्लेख किया गया है।

यह सर्ववर्मा का छोटा भाई था तथा इसकी मृत्यु ईशानवर्मा के जीवन काल में ही हो गयी थी। असीरगढ से प्राप्त एक मुहर में सर्ववर्मा को महाराजाधिराज कहा गया है। वह एक शक्तिशाली राजा था। अपने पिता की पराजय का बदला लेने के लिये उसने कुमारगुप्त के उत्तराधिकारी दामोदरगुप्त को मूर्च्छित कर दिया। मगध पुनः मौखरियों के अधिकार में आ गया।

मौखरियों की जानकारी के इतिहास के स्रोत

देवबर्नाक के लेख के अनुसार सर्ववर्मा ने वारुणीक नामक ग्राम दान में दिया था, जो उस समय मगध क्षेत्र में था। इस प्रकार सर्ववर्मा के समय में मौखरि पुनः शक्तिशाली हो गये। मगध को मौखरि आधिपत्य के अंतर्गत लाने वाला प्रथम शासक सर्ववर्मा था।

मगध साम्राज्य का उदय के कारण

असीरगढ का लेख विन्ध्यलेख पर उसके आधिपत्य की सूचना मिलती है। पश्चिम में उसके साम्राज्य का विस्तार थानेश्वर राज्य की पूर्वी सीमा तक था। इस प्रकार सर्ववर्मा अपने वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा था, जिसने एक विस्तृत प्रदेश पर शासन किया। उसने 586 ईस्वी तक शासन किया था।

प्रश्नः

मगध को मौखरि आधिपत्य के अंतर्गत लाने वाला प्रथम शासक कौन था ?

उत्तर-

मगध को मौखरि आधिपत्य के अंतर्गत लाने वाला प्रथम शासक सर्ववर्मा था।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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