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चोल शासक राजराज तृतीय

चोल शासक कुलोत्तुंग तृतीय का उत्तराधिकारी राजराज तृतीय था, जो एक निर्बल राजा था। उसके राज्य में चतुर्दिक विद्रोह एवं अराजकता फैल गयी। पाण्ड्य नरेश सुन्दर ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया परंतु होयसल नरसिंह द्वितीय की सहायता से उसे मुक्ति मिली। तेल्लारु के युद्ध में उसे यादव सरदार कोप्पेरुंजिंग ने परास्त कर बंदी बना लिया। 1231 ई. में होयसल सेना की सहायता से वह पुनः अपनी स्वतंत्रता एवं राज्य पाने में सफल हुआ। राजराज किसी प्रकार 1256 ई. तक राज्य करता रहा, परंतु उसका अधिकार नाममात्र का ही रहा।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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