इटली का एकीकरणइतिहासविश्व का इतिहास

विलाफ्रेंका की संधि

विलाफ्रेंका की संधि

विलाफ्रेंका की संधि (treaty of villafranca)

आस्ट्रिया भी युद्ध जारी रखना नहीं चाहता था, अतः 11 जुलाई 1859 ई. को आस्ट्रिया व फ्रांस के बीच विलाफ्रेंका की संधि हुई जिसकी मुख्य धाराएं निम्नलिखित थी-

  • लोम्बार्डी, सार्डीनिया, पीडमांट को दे दिया जायेगा।
  • वेनेशिया पर आस्ट्रिया का अधिकार रहेगा।
  • परमा, मेडोना व टस्कनी में वहाँ के शासकों को पुनः उनकी गद्दियां वापस दे दी जाये।
  • इटली के राज्यों का एक संघ बनाया जाये जिसका अध्यक्ष पोप रहेगा।

आस्ट्रिया की पराजय से इटली के सभी राज्यों की जनता सार्डीनिया से संबद्ध होने के लिये उत्तेजित हो उठी तथा एक शक्तिशाली राज्य के रूप में इटली के उदय होने के लक्षण दिखाई देने लगे। इससे नेपोलियन चौकन्ना हो गया। वह नहीं चाहता था, कि फ्रांस की दक्षिणी-पूर्वी सीमा पर एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना हो, जिससे फ्रांस को खतरा उत्पन्न हो जाय। इधर नेपोलियन को युद्ध में काफी हानि उठानी पङी थी और यदि यह युद्ध कुछ समय और चलता तो उसे अधिक हानि की संभावना थी।

दूसरी ओर उसे प्रशा के आक्रमण का भी भय था, क्योंकि प्रशा की सेना युद्ध के लिये तैयार खङी थी। इसके अलावा फ्रांस के रोमन कैथोलिक युद्ध जारी रखने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें इस बात का भय था कि आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध जारी रखने से पोप की स्थिति खतरे में पङ जाएगी।

इन सभी कारणों से नेपोलियन तृतीय ने 11 जुलाई, 1859 को विलाफ्रेंका नामक स्थान पर आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस जोसेफ से भेंट कर युद्ध विराम की शर्तें तय कर ली। इस संधि के अनुसार लोम्बार्डी का प्रांत (माण्टुआ तथा पेश्चीरा को छोङकर) फ्रांस को हस्तान्तरित कर दिया गया तथा फ्रांस ने उसे सार्डीनिया को दे दिया। वेनेशिया पर आस्ट्रिया का अधिकार पूर्ववत बना रहा। परमा, मोडेना और टस्कनी में वहाँ के शासकों को पुनः उनकी गद्दियाँ वापस कर दी गयी।

विलाफ्रेंका की संधि

विलाफ्रेंका की संधि के समाचार से इटलीवासियों को गहरा आघात लगा। इटली के देशभक्तों ने नेपोलियन की घोर निन्दा की। उनका कहना था, कि विजय के अंतिम क्षणों में अपने मित्र सार्डीनिया को बिना पूछे ही युद्ध को बीच में रोक देना विश्वासघात था। कैवूर तो इससे आग बबूला हो उठा था।

उसने विक्टर इमेनुअल को सलाह दी कि वह इस संधि को अस्वीकार करते हुये अकेले ही आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध जारी रखे, किन्तु विक्टर इमेनुअल आवेश में शीघ्र ही कोई निर्णय करना नहीं चाहता था, अतः उसने कैवूर की सलाह को मानने से इनकार कर दिया। क्रोधित होकर कैवूर ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया।

यद्यपि विक्टर इमेनुअल को भी नेपोलियन की नीति सेहु उतनी ही निराशा हुई थी, जितनी कैवूर को, किन्तु अकेले सार्डीनिया के लिये शक्तिशाली आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध जारी रखना व्यावहारिक दृष्टि से उचित नहीं था। इनके अलावा उसने यह भी देखा कि लोम्बार्डी से आस्ट्रिया का प्रभाव समाप्त हो जाने से वियना व्यवस्था भंग होनी आरंभ हो गयी थी और जब यूरोपीय शक्तियों ने लोम्बार्डी पर इटली के अधिकार को मान्यता दे दी है, तो एक प्रकार से वेनेशिया पर भी इटली का नैतिक अधिकार स्वीकार कर लिया गया है।

अतः परिस्थितियों को देखते हुये विक्टर इमेनुअल ने आस्ट्रिया और फ्रांस के साथ मिलकर 10 नवम्बर, 1859 को ज्यूरिक की संधि पर हस्ताक्षर कर दिये, जिसके द्वारा विलाफ्रेंका की संधि की पुष्टि की गयी। नेपोलियन तृतीय ने प्लोम्बियर्स के समझौते की शर्तों के पालन पर जोर नहीं दिया और केवल युद्ध का खर्चा लेकर ही संतोष कर लिया। अब लोम्बार्डी पर सार्डीनिया का विधिवत अधिकार हो गया और इस प्रकार इटली के एकीकरण का प्रथम चरण भी पूरा हो गया।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

 

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