इतिहासनेपोलियन बोनापार्टविश्व का इतिहास

सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट(1804-14ई.)

सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट(1804-14ई.)

नेपोलियन पूरे दस वर्ष तक सम्राट बना रहा। इन दस वर्षों में उसे निरंतर युद्ध लङने पङे, जिनमें से अधिकांश युद्धों में उसे विस्मयक सफलताएँ मिली। यद्यपि अंतिम युद्ध की पराजय ने उसकी सभी सफलताओं पर पानी फेर दिया। फिर भी इन दस वर्षों की अवधि में संपूर्ण यूरोप का घटना चक्र उसके इशारे पर घूमता रहा और वह यूरोपीय राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना रहा।

इसीलिये इन दस वर्षों को इतिहास में नेपोलियन का युग के नाम से संबोधित किया जाता है। उसकी गिनती विश्व के तीन महान विजेताओं – सिकंदर, सीजर और शार्लमेन के साथ की जाने लगी।

यूरोप की प्रभुता का प्रयास

सम्राट बन जाने के बाद नेपोलियन ने यूरोप की प्रभुता प्राप्त करने का प्रयास किया। जब इंग्लैण्ड ने आसीन्स की संधि के अनुसार माल्टा द्वीप खाली करने से इनकार कर दिया तो नेपोलियन ने इंग्लैण्ड के विरुद्ध पुनः युद्ध छेङ दिया। इंग्लैण्ड ने फ्रांस के विरुद्ध तीसरी बार गुट बनाया। इस तीसरे गुट में इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, रूस और स्वीडन सम्मिलित थे।

नेपोलियन ने जर्मनी में इंग्लैण्ड, आस्ट्रिया, रूस और स्वीडन सम्मिलित थे। नेपोलियन ने जर्मनी में इंग्लैण्ड के छोटे से राज्य हनोवर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। 1805 ई. में इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य सुप्रसिद्ध ट्राफलगर का जल युद्ध लङा गया, जिसमें अंग्रेज जल सेनानायक नेल्सन ने फ्रांस तथा स्पेन के संयुक्त जहाजी बेङे को नष्ट कर दिया।

इस भयंकर युद्ध में नेल्सन भी मारा गया। नेपोलियन ने इस पराजय का बदला स्थल युद्धों में लिया। नेपोलियन ने अपनी विशाल सेना को दो भागों में विभाजित किया। एक सेना को सीधे आस्ट्रिया पर आक्रमण करने का काम सौंपा गया। आस्ट्रिया का सेनानायक माक 80,000 सैनिकों के साथ उल्म नामक स्थान पर डटा हुआ था।

नेपोलियन की दूसरी सेना ने 500 मील का लंबा चक्कर लगाकर (जर्मनी को पार कर उत्तर-दक्षिण की ओर से) आस्ट्रिया की सेना को पीछे से दबोच लिया। उल्म के इस युद्ध में बिना अधिक रक्तपात के आस्ट्रिया के 60,000 सैनिक और 30 जनरल बंदी बना लिये गये और 120 तोपों पर अधिकार कर लिया गया।

इस सफलता ने फ्रांसीसी सेना के लिये राजधानी वियना का मार्ग खोल दिया। तीन सप्ताह के बाद एक विजेता के रूप में नेपोलियन ने वियना में प्रवेश किया। आस्ट्रिया सम्राट पहले ही राजधानी छोङकर उत्तर की ओर चला गया। ताकि रूसी सेना से संपर्क कायम किया जा सके। 2 दिसंबर, 1805 ई. को आस्टरलिज का युद्ध लङा गया, जिसमें नेपोलियन ने आस्ट्रिया और रूस की संयुक्त सेनाओं को परास्त किया गया।

विवश होकर ओस्ट्रिया को पुनः फ्रांस से प्रेस बुर्ज की संधि (26 दिसंबर, 1805 ई.) करनी पङी। इस संधि से आस्ट्रिया को बहुत बङा अपमान सहन करना पङा। उसे फ्रांस को वेनेशिया और डलमेशिया तथा बवेरिया को टायरोल और बैडेन को बरटेम्बर्ग के कुछ क्षेत्र सौंपने पङे।

आस्टरलिज के दूरगामी परिणाम निकले। अब नेपोलियन राजाओं का निर्माता बन गया। 1806 ई. में उसने राजाओं की सृष्टि की। बवेरिया और बरटेम्बर्ग जो अब तक ठिकाने मात्र थे, उनके जागीरदारों को राजा का पद दिया गया। नेपल्स के रिक्त सिंहासन पर उसने अपने भाई जोजफ को बैठाया। बटाविया (हालैण्ड) के गणतंत्र को राजंतत्र में बदल दिया गया।

और नेपोलियन ने अपने दूसरे भाई लुई को यहाँ पर राजा बनाया। इसके बाद उसने जर्मनी का रूपान्तर किया। उसने अनेक छोटे-छोटे जर्मन राज्यों को समाप्त कर दिया और राइन राज्य संघ का निर्माण किया, जिसमें बवेरिया, बरटेम्बर्ग तथा जर्मनी के अन्य चौदह राज्य सम्मिलित थे।

नए जर्मन संघ ने जर्मन सम्राट के प्रति अपनी भक्ति को त्यागकर नेपोलियन को अपना संरक्षक माना। इसके बाद पवित्र रोमन राज्य को समाप्त कर दिया गया। पवित्र रोमन साम्राज्य लगभग एक हजार वर्ष से चला आ रहा था और जर्मनी की बहुत सी छोटी-छाटी रियासतों पर इसका वर्चस्व बना हुआ था।

राइन राज्य संघ के निर्माण के बाद नेपोलियन ने आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस को पवित्र रोमन सम्राट का पद त्यागने के लिये विवश किय। इस प्रकार औपचारिक रूप से इस साम्राज्य का अंत हो गया।

जर्मनी में नेपोलियन के हस्तक्षेप से प्रशिया नाराज हो गया, क्योंकि वह जर्मनी का एक प्रमुख राज्य था और मौजूदा अव्यवस्था का लाभ उठाकर स्वयं अपना राज्य चाहता था, परंतु नेपोलियन पूरी तरह से तैयार था। ऐना और ऑयस्तार्त के युद्धों में उसने प्रशिया को बुरी तरह से पराजित किया और 25 अक्टूबर, 1806 को एक विजेता के रूप में नेपोलियन ने राजधानी बर्लिन में प्रवेश किया।

वह प्रशिया के शासक के विरुद्ध सख्त कदम उठाना चाहता था, परंतु पहले रूस से निपटना आवश्यक हो गया था। अतः नेपोलियन रूस की तरफ बढा। एलाउ के युद्ध में दोनों पक्षों के मध्य घमासान युद्ध हुआ और हजारों की संख्या में सैनिक मारे गये, फिर भी यह युद्ध अनिर्णायक रहा।

इसके बाद, फ्रीडलैण्ड के युद्ध में रूस बुरी तरह से पराजित हो गया। चार महीने बाद, 14 जुलाई, 1808 ई. को मेरिगो का विख्यात युद्ध लङा गया, जिसमें नेपोलियन ने रूस को निर्णायक शिकस्त दी। रूस को विवश होकर टिलसिट की संधि पर हस्ताक्षर करने पङे। टिलसिट की संधि सम्राट नेपोलियन के उत्कर्ष की चरम सीमा थी। नेपोलियन ने अपनी शानदार कूटनीति के द्वारा क्रांति के एक प्रबल शत्रु को अपना मित्र बना लिया।

रूस के जोर देने पर नेपोलियन ने प्रशिया के राजतंत्र को तो कायम रखा। परंतु उस पर कठोर शर्तें लाद दी। प्रशिया को एल्ब नदी के पश्चिम का अपना सारा क्षेत्र छोङना पङा। इस क्षेत्र के साथ जर्मन राज्यों के अन्य क्षेत्र मिलाकर वेस्टेफेलिया नाम का एक नया राज्य बनाया गया और नेपोलियन ने अपने भाई जेरोम को इस नए राज्य का राजा बना दिया। प्रशिया के पूर्वी भाग का कुछ क्षेत्र भी छीन लिया गया। और इसे सेक्सनी राज्य को दिया गया।

इस प्रकार दो वर्षों के भीतर ही नेपोलियन ने आस्ट्रिया, प्रशिया और रूस की शक्ति को चकनाचूर कर दिया था। यूरोप की कोई सेना अब उसका सामना नहीं कर सकती थी। अब केवल इंग्लैण्ड बाकी रह गया था।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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