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संविधान सभा (1946-50)

संविधान सभा के चुनाव जून 1946 के अंत तक समाप्त हो गए। ब्रिटिश भारतीयों को दी गयी 292 सीटों में से चार खाली रह गई क्योंकि सिखों ने सभा में सम्मिलित होने से इनकार कर दिया। शेष 288 तीन वर्गों में बंट गए – ‘A’, ‘B’ और ‘C’ । वर्ग ‘A’ में कांग्रेस ने 162 सामान्य तथा दो मुस्लिम सीटों पर विजय प्राप्त की, लीग ने 19 सीटें जीती तथा निर्दलीय एक सीट पर सफल रहा।

वर्ग ‘B’ में कांग्रेस ने 7 सामान्य तथा दो मुस्लिम लीग ने 19, यूनियनिस्ट पार्टी ने 3 तथा निर्दलीय को एक सीट मिली। वर्ग ‘C’ में कांग्रेस ने 32, लीग ने 35, कम्युनिस्टों ने एक, अनुसूचित जाति ने दो तथा कृषक प्रजा पार्टी ने एक सीट जीती। इस प्रकार कांग्रेस ने कुल 201, मुस्लिम लीग ने 73, नर्दलीय ने 8 तथा अन्य पार्टियों ने 6 सीटें जीती।

संविधान सभा

सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर को कौंसिल चैंबर के पुस्तकालय में हुई जिसमें 205 सदस्यों ने भाग लिया। लीग तथा देशी राज्यों के सदस्यों ने इसमें भाग नहीं लिया। प्रारंभिक कार्यों में सभा ने 15 सदस्यीय एक समिति का गठन किया, जिसके कार्य कार्यविधि के नियम बनाने थे तथा इसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।

सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव उद्देश्य प्रस्ताव संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को पारित किया गया। इसे बाद में भारत के संविधान का प्राक्कथन बनाया गया। तीन वर्षों के कठोर श्रम के बाद संविधान सभा द्वारा अंततः 26 नवंबर, 1949 को इस संविधान को स्वीकृति प्रदान की गई जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।

References :
1. पुस्तक- भारत का इतिहास, लेखक- के.कृष्ण रेड्डी

Online References
wikipedia : संविधान सभा

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