सोलंकी वंश के इतिहास के साधन क्या-क्या थे
गुजरात के चौलुक्य अथवा सोलंकी वंश की सामान्य जानकारी- चौलुक्य अथवा सोलंकी अग्निकुल से उत्पन्न राजपूतों में से एक थे। वाडनगर लेख में इस वंश की उत्पत्ति ब्रह्मा के चुलुक अथवा कमंडलु से बताई गयी है। उन्होंने गुजरात में 10 वीं शता. के उत्तरार्द्ध से 13 वीं शता. के प्रारंभ तक शासन किया। उनकी राजधानी अन्हिलवाङ में थी।…अधिक जानकारी
इतिहास की जानकारी के साधन
गुजरात के चौलुक्य वंश का इतिहास हम मुख्य रूप से जैन लेखकों के ग्रंथों में पता लगाते हैं। ये लेखक चौलुक्य शासकों की राजसभा में निवास करते थे।
जैन ग्रंथों में प्रमुख ग्रंथ निम्नलिखित हैं-
- हेमचंद्र का द्वाश्रयकाव्य,
- मेरुतुंगकृत प्रबंधचिंतामणि,
- सोमेश्वरकृत कीर्तिकौमुदी,
- हेमचंद्र सूरि का कुमारपाल चरित,
इन सभी ग्रंथों का उल्लेख किया जा सकता है, जिनके अध्ययन से हम इस वंश के शासकों की राजनैतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विवरण प्राप्त करते हैं।
भारतीय साहित्य के अलावा मुसलमान लेखकों अलगर्दीजी, इब्न-उल-अतहर, हसन निजामी आदि के विवरणों से तुर्कों तथा चौलुक्यों के संघर्ष का परिचय प्राप्त होता है।
चौलुक्य राजाओं के लेख भी मिलते हैं, जो न्यूनाधिक रूप से उनके इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण लेख कुमारपाल की वाडनगर प्रशस्ति (971ईस्वी) है, जिसकी रचना श्रीपाल ने की थी। इसके अतिरिक्त तलवाङा, उदयपुर (भिलसा), कादि आदि के लेखों से जयसिंह, कुमारपाल, भीम द्वितीय आदि चौलुक्य राजाओं की उपलब्धियों का विवरण मिलता है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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