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भारत छोङो आंदोलन की असफलता के कारण क्या थे

अन्य संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

डॉ.अंबाप्रसाद ( Dr. ambaaprasaad ) ने भारत छोङो आंदोलन की असफलता के तीन कारण बताये हैं-

  1. भारत छोङो आंदोलन के संगठन और योजना में कमियाँ थी। किसी भी जन-आंदोलन को आरंभ करने से पूर्व उसके नेताओं को आंदोलन की रणनीति का ज्ञान आवश्यक होता है। लेकिन इस आंदोलन के नेताओं ने कोई रणनीति निश्चित नहीं की थी। सरकार उन्हें जेलों में बंद करे, इससे पूर्व ही उन्हें अज्ञात स्थान पर चला जाना चाहिये था। किन्तु आंदोलन का अध्ययन करने से पता चलता है, कि किसी को कुछ पता नहीं था कि क्या किया जाय ? गांधीजी की यह धारणा सर्वथा गलत सिद्ध हुई कि सरकार को आंदोलन की चेतावनी देने पर सरकार उनसे बातचीत करेगी।उन्हें पक्का विश्वास था, कि सरकार उन्हें 1920 के आंदोलन की भाँति गिरफ्तार नहीं करेगी। गांधीजी की ये धारणाएँ गलत सिद्ध हुई। प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद आंदोलन नेतृत्वहीन हो गया। बाद में जो हिंसात्मक कार्यवाही हुईं, उसके बारे में दो ग्रुप थे। एक हिंसात्मक कार्यवाही को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए ठीक समझता था और दूसरा कहता था कि गाँधीजी इसे पसंद नहीं करेंगे। अतः आंदोलनकारियों में एकता नहीं थी।
  2. इस आंदोलन के काल में सरकारी कर्मचारी, सेना, पुलिस और देशी राजा सरकार के प्रति वफादार रहे। अतः सरकार का कामकाज बेरोक-टोक चलता रहा। सरकार के वफादार सेवकों ने आंदोलनकारियों पर भीषण अत्याचार किये। ये वफादार सेवक आंदोलनकारियों की गतिविधियों की गुप्त सूचनाएँ सरकार के पास पहुँचाते रहे, जिससे आंदोलन का दमन करना सरकार के लिए आसान हो गया।
  3. सरकार के पास जितने साधन और शक्ति थी, उतने आंदोलनकारियों के पास नहीं थे। आंदोलनकारियों का न गुप्तचर विभाग था और न एक-दूसरे को सूचना पहुँचाने के साधन थे। सरकार की अपेक्षा आंदोलनकारियों के पास साधन भी कम थे। सरकार ने अपने समस्त साधनों को आंदोलन कुचलने में लगा दिया। लोगों पर दिल दहला देने वाले अत्याचार हुए,जिनका सामना करना साधारण जनता के लिए कठिन था। अतः आंदोलन को कुचल दिया गया।

यद्यपि यह आंदोलन तत्काल अंग्रेजों को भारत से निकालने में असफल रहा, किन्तु भारतीय जनता ने जो बलिदान किये, वे व्यर्थ नहीं गये। इस आंदोलन से भारतीय स्वतंत्रता निकट आ गई।

सरदार पटेल(Sardar Patel) ने कहा, भारत में ब्रिटिश राज के इतिहास में ऐसा विप्लव कभी नहीं हुआ, जैसा पिछले तीन वर्षों में हुआ। लोगों ने जो प्रतिक्रिया व्यक्त की, हमें उस पर गर्व है।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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