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भारत छोङो आंदोलन का महत्त्व एवं परिणाम

भारत छोङो आंदोलन कोई साधारण आंदोलन नहीं था। कांग्रेसी नेताओं को एकदम जेल में बंद कर देने तथा शांत प्रदर्शनकारियों पर असह्य अत्याचार करने के बाद जनता ने स्व-प्रेरणा से आंदोलन चलाया। भारत छोङो आंदोलन में भाग लेने वाले हजारों व्यक्तियों ने अदम्य साहस व सहनशीलता का परिचय दिया और सैकङों लोगों ने अपने जीवन का बलिदान कर दिया।

भारत छोङो आंदोलन के परिणाम( bhaarat chhodo aandolan ke parinaam )

  • अंग्रेजों ने देश में हिंसा भङकाने की सारी जिम्मेदारी गांधीजी पर डाल दी। गाँधीजी ने इसका विरोध करने के लिए 10 फरवरी, 1943 ले 21 दिन का उपवास आरंभ कर दिया। 13 दिन बाद गांधीजी की हालत खराब होने पर भी सरकार ने उन्हें छोङने से इंकार कर दिया।
  • गाँधीजी किसी तरह बच गये, लेकिन 22 फरवरी, 1944 को उनकी धर्मपत्नी कस्तूरबा का जेल में ही देहांत हो गया। अंत में जब लार्ड वेवल (Lord Wavell)भारत के गवर्नर-जनरल बने, तब 6 मई,1944 को उन्हें छोङ दिया गया।वस्तुतः भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु किये गये आंदोलनों की पुष्पलङी में पिरोया जाने वाला यह अंतिम पुष्प था।
  • आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस और सेना ने कई बार गोलियाँ चलाई। इसमें लगभग 7,000 व्यक्ति मारे गये और 60,000 व्यक्तियों को जेल में ठूंस दिया गया। यद्यपि यह आंदोलन स्वतंत्रता प्राप्ति के उद्देश्य में असफल रहा, किन्तु लोगों में सरकार से मुकाबला करने की भावना उत्पन्न हो गई।
  • भारत छोङो आंदोलन ( bhaarat chhodo aandolan )ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
  • भारत छोङो आंदोलन से अंग्रेजों को यह भलीभाँति विदित हो गया कि यहाँ उनका राज्य कोई नहीं चाहता।
  • भारत छोङो आंदोलन के परिणामस्वरूप अंग्रेज और मुस्लिम लीग एक-दूसरे के समीप आने लगे, क्योंकि दोनों कांग्रेस के विरोधी थे। दूसरे विश्वयुद्ध में जिन्ना ने अंग्रेजों की हर प्रकार से सहायता करने के लिए मुसलमानों को आंदोलन से अलग रहने को कहा।
  • जिस समय जापान भारत पर आक्रमण करने को तैयार खङा था, उस समय अंग्रेज जिन्ना की सहायता को बङी महत्त्वपूर्ण समझते थे। इसलिए उन्होंने आगे चलकर जिन्ना को पाकिस्तान दे दिया।
  • भारत छोङो आंदोलन का विदेशों पर भी प्रभाव पङा। 25 जुलाई, 1942 को च्यांग काई शेक ने रूजवेल्ट को लिखा था, अंग्रेजों के लिए सबसे श्रेष्ठ नीति यह है कि भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दे दें। इस पर रूजवेल्ट ने कहा कि जो बात च्यांग चाहते हैं, उसको स्थगित करना ठीक नहीं है। तत्पश्चात् चर्चिल ने धमकी दी कि, यदि चीन, भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहा तो अंग्रेज चीन के साथ अपनी संधि तोङ देंगे।
  • इन सभी का परिणाम यह हुआ कि युद्ध के बाद अमेरिका और इंग्लैण्ड में जनमत इतना प्रबल हुआ, कि इंग्लैण्ड को विवश होकर भारत को स्वतंत्रता देनी पङी।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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