इतिहासप्राचीन भारतवर्द्धन वंशहर्षवर्धन

नालंदा मृण्मुद्रा अभिलेख किस शासक से संबंधित है

यह अभिलेख हर्षवर्धन से संबंधित है। मिट्टी की मुहर पर उत्कीर्ण यह लेख बिहार के नालंदा से मिला है। इसकी लिपि ब्राह्मी तथा भाषा संस्कृत है।

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हिन्दी में अनुवाद

सिद्धि हो। महाराज श्रीनरवर्धन, तत्पादानुध्यात श्रीवज्रिणी देवी से उत्पन्न उनके पुत्र आदित्य के महान उपासक श्री राज्यवर्धन, उनके पुत्र तत्पादानुध्यात श्री अप्सरादेवी से उत्पन्न आदित्य के महान भक्त श्रीमान आदित्यवर्धन, तत्पादानुध्यात उनके पुत्र श्री महासेनगुप्ता देवी से उत्पन्न, जिनका यश चारों समुद्रों के पार तक फैला हुआ है, अन्य राजाओं को अपने प्रताप तथा प्रेम से जिसने अपने अधीन बना लिया, अपने चक्र से वर्णाश्रम को जिसने प्रतिष्ठित कर सूर्य के समान जिसने प्रजा के कष्ट को दूर किया, (ऐसे) आदित्य के महान भक्त परमभट्टारक महाराजाधिराज श्री प्रभाकर वर्धन हुए।

तत्पादानुध्यात उनके पुत्र, अपने पूर्ववर्ती राजाओं से श्रेष्ठतर चरित्र वाले, परमसौगत, उन्हीं के समान पर हितकारी परमभट्टारक महाराजाधिराज श्री राज्यवर्धन (प्रभाकरवर्धन की) रानी विमल यशस्वी यशोमती देवी से उत्पन्न हुये।

तत्पादानुध्यात उनके अनुज परमभट्टारिका महादेवी श्रीयशोमती देवी से उत्पन्न परममाहेश्वर, महेश्वर के समान सभी प्राणियों में दयावान परमभट्टारक महाराजाधिराज श्री हर्ष (थे)।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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