इतिहासदक्षिण भारतप्राचीन भारतवेंगी के चालुक्य

वेंगी के चालुक्य शासक कुब्ज विष्णुवर्धन का इतिहास

कुब्ज विष्णुवर्धन योग्य तथा शक्तिशाली राजा था। बहुत समय तक वह अपने भाई (वातापी के चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय)के प्रति निष्ठावान रहा तथा उसकी ओर से विभिन्न युद्धों में भाग लिया। जिस समय पुलकेशिन – पल्लव नरेश नरसिंहवर्मा प्रथम के साथ भीषण युद्ध में फंसा हुआ था, उसी समय विष्णुवर्धन ने वेंगी में अपनी स्वाधीनता घोषित कर दी। इसकी सूचना देने के लिये उसने दो ताम्रपत्र जारी किये तथा विषमसिद्धि की उपाधि धारण की। इन लेखों से पता चलता है, कि उसकी राज्य में कलिंग का कुछ भाग सम्मिलित था। दक्षिण में विष्णुवर्धन ने संपूर्ण वेंगी राज्य पर अपना अधिकार कर लिया। उसका राज्य विशाखापट्टनम् से उत्तरी नेल्लोर तक फैला था। उसने वेंगी को अपनी राजधानी बनाया तथा 615 ई. से 633ई. तक शासन किया।

विष्णुवर्धन की रानी अय्याना-महादेवी ने विजयवाङा में एक जैन मंदिर का निर्माण करवाया। तेलुगू प्रदेश में यह जैन धर्म का पहला उल्लेख है। विष्णुवर्धन स्वयं भागवत धर्म का अनुयायी था।

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References:
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक-के.सी.श्रीवास्तव

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