इतिहासअमेरिका की क्रांतिविश्व का इतिहास

स्टाम्प एक्ट(1765ई.) क्या था

स्टाम्प एक्ट(1765ई.) क्या था

1765 ई. में ग्रेनविल ने सुप्रसिद्ध स्टाम्प एक्ट पास करवा दिया। इस कानून के द्वारा समाचार – पत्रों, कङी आलोचनाओं वाली पत्रिकाओं, पुस्तिकाओं, लाइसेन्सों, पट्टों तथा कानूनी दस्तावेजों पर रसीदी टिकट (स्टाम्प) लगाना आवश्यक हो गया। इस कानून ने उपनिवेशों में पहले से चले आ रहे असंतोष को संगठित रूप दे दिया।

यद्यपि इस कानून द्वारा लादा गया बोझ बहुत हल्का था और इससे प्राप्त होने वाली आय का उपयोग उपनिवेशों के लिये ही किया जाना था, फिर भी उपनिवेशों में तत्काल इस एक्ट का विरोध शुरू हो गया। वर्जीनिया के लोगों पर कर लगाने का अधिकार वर्जीनिया की प्रतिनिधि सभा के अलावा किसी को नहीं है।

मेसाचूसेट्स में भी स्टाम्प एक्ट का जोरदार विरोध हुआ और वहाँ जेम्स ओटिस और सैमुअल एडम्स जैसे बौद्धिक वक्ताओं के भाषणों ने जलते पर तेल का काम किया। एडम्स ने घोषणा की कि नियमानुकूल प्रतिनिधि लिये बिना, कर लगा देना लोगों को गुलाम बनाने का ढंग है। न्यू इंग्लैण्ड, न्यूयार्क और पेंसिलवेलिया में दंगा हो गया। स्टाम्प बेचने वाले अपने पद छोङ गए। अधिक गङबङ और मारपीट को बढावा देने के लिये आजादी के सपूतों के स्वतंत्रताप्रिय दल संगठित किये जाने लगे।

एक सभा में नौ उपनिवेशों के नेताओं ने स्पष्ट कहा कि उपनिवेशों पर उनकी प्रतिनिधि सभाएँ ही कर लगा सकती हैं, का नारा बुलंद हो गया। उपनिवेशों के व्यापारियों ने संगठित होकर आयात बहिष्कार संघ बनाया और इंग्लैण्ड से माल न मँगाने का निश्चय किया।

अमेरिका उपनिवेशों में स्टाम्प एक्ट का जो घोर विरोध हुआ, उससे इंग्लैण्ड में खलबली मच गई। 1765 ई. में गर्मियों में मातृदेश से व्यापार गिरने लगा। ब्रिटिश, लंदन और लिवरपूल के अंग्रेज व्यापारियों का बुरा हाल हो गया। कारखानों में कारीगर बेकार होने लगे, विवश होकर इंग्लैण्ड की सरकार को 1766 ई. में स्टाम्प एक्ट का निरस्तीकरण तथा शुगर एक्ट में संशोधन करना पङा। इस प्रकार पुनः शांति स्थापित हुई।

स्टाम्प एक्ट से उत्पन्न समस्या प्रतिनिधित्व के प्रश्न पर ही केन्द्रित थी। उपनिवेशियों का मत था, कि जब तक वे स्वयं इंग्लैण्ड के हाऊस ऑफ कॉमन्स के सदस्य नहीं चुनते, तब तक वे कैसे मान लें कि इंग्लैण्ड की संसद में उनका प्रतिनिधित्व है, परंतु इंग्लिश सिद्धांत स्थान की अपेक्षा वर्गों और स्वार्थों के प्रतिनिधियों पर आधारित था।

अंग्रेजों की मान्यता थी, कि इंग्लैण्ड की संसद को उपनिवेशों का प्रतिनिधित्व करने और उन पर शासन करने का उतना ही अधिकार है, जितना स्वदेश पर। इंग्लैण्ड और अमेरिका की तात्कालिक राजनीतिक विचारधाराओं में यह बुनियादी मतभेद था, जिसको अंत में युद्धभूमि में जाकर ही सुलझाना पङा।

1. पुस्तक- आधुनिक विश्व का इतिहास (1500-1945ई.), लेखक - कालूराम शर्मा

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