इतिहासप्राचीन भारतशाकंभरी का चौहान वंश

चौहान शासक अजयराज का इतिहास

चौहान शासक पृथ्वीराज प्रथम के बाद उसका पुत्र अजयराज शासक बना। वह एक कुशल योद्धा तथा महान विजेता था। पृथ्वीराजविजय के अनुसार उसने मालवा के राजा सुल्हण को पराजित किया तथा उसे घोङे की पीठ पर बांधकर अजमेर ले आया। यह सुल्हण संभवतः परमार नरेश नरवर्मा का सेनापति था।

बिजौलिया लेख से पता चलता है, कि उसने चच्चिग, सिंघल तथा यशोराज नामक तीन वीरों को हराया था, जो श्रीमार्ग तथा दुर्छ से संबंधित थे। श्रीमार्ग की पहचान श्रीपथ (राजस्थान के भरतपुर के समीप स्थित वर्तमान बयाना) से की जाती है। दुर्छ बुंदेलखंड का दुधई क्षेत्र है। उक्त तीनों वीर स्वतंत्र शासक न होकर किसी सार्वभौम शक्ति के सामंत प्रतीत होते हैं। इन सबकी विजय कर पृथ्वीराज ने अपनी शक्ति एवं प्रतिष्ठा को काफी बढा लिया था। मथुरा तथा उसके आस-पास से उसकी रजत मुद्रायें मिलती हैं, जो इस बात की सूचक हैं, कि वहाँ उसका अधिकार था।

पृथ्वीराजविजय से पता चलता है, कि उसने तुर्कों के विरुद्ध भी सफलता प्राप्त की थी।

प्रबंधकोश में कहा गया है, कि उसने सुल्तान शिहाबुद्दीन को परास्त किया था।

मुस्लिम लेखक मिनहाज-उल-सिराज लिखता है, कि गजनी के सुल्तान बहराम शाह ने भारत पर कई आक्रमण किये थे। इस बहरामशाह का प्रारंभिक संघर्ष अजयराज से हुआ था, अजयराज ने बहराम शाह को पराजित कर दिया था।

अजयराज एक निर्माता के रूप में

अजयराज एक महान निर्माता भी था।

पृथ्वीराज विजय के अनुसार अजयराज ने अजमेर नगर की स्थापना करवाई तथा वहाँ अपनी राजधानी ले गया। उसने इस नगर को भव्य भवनों से अलंकृत करवाया। उसकी तथा उसकी राजमहिषी सोमल्लदेवी की बहुसंख्यक एवं कई आकार-प्रकार की रजत मुद्रायें प्रकाश में आई हैं, जिनसे उसके साम्राज्य की समृद्धि सूचित होती है। बताया गया है, कि अजयराज ने स्वयं अपने पुत्र (अर्णोराज)के पक्ष में सिंहासन त्याग दिया तथा अपने जीवन के अंतिम दिन पुष्कर तीर्थ में तपस्या करते बिताये थे।

References :
1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव 

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