प्राचीन इतिहास तथा संस्कृति के प्रमुख स्थल कोपिया
उत्तर प्रदेश के संत कबीरनगर जिले में खलीलाबाद से 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित कोपिया गाँव में पुणे स्थित पुरातात्विक अध्ययन के एशिया के संभवत: सबसे बड़े केन्द्र डेक्कन कालेज के सहयोग से डॅा. आलोक कुमार कानूनगो के नेतृत्व में उत्खनन कार्य किया जा रहा है। भारत में प्राचीनकाल में काँच उद्योग की बाबत यहाँ नवीनतम जानकारी प्राप्त हुई है। खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में मिले काँच के टुकड़े, चूड़ियों के टुकड़े, धातु गलाने वाले पात्र जिसमें सीसा पड़ा था इसका प्रमाण है। काँच निर्माण की अति प्राचीन पद्धति के स्पष्ट प्रमाण मिले है, जिसमें एक स्तूपाकार निर्माण के एक सिरे में आग लाई जाती है। दूसरे सिरे में सिलिका डाली जाता है। डाॅ कानूनगो की माने तो “उत्तर भारत काँच निर्माण के क्षेत्र में ज्यादा विकसित था। ई. पू. 400 से 30 ई. के दौरन कोपिया इसका महत्वपूर्ण केन्द्र था। यहाँ काँच उद्योग पहली सदी में रोम के काँच उद्योग जितना ही उन्नत था। ” डॅा कानूनगो के शुरूआती निष्कर्ष इस प्रचलित अवधारणा का खंडन भी करते है कि भारत का प्राचीन काँच उद्योग दक्षिण भारतीय क्षेत्रों, खासकर अरिकामेडु जैसी जगहों पर था जिसके रोम से सम्पर्क के प्रमाण मिलते है।
उत्खनन में प्राप्त सिक्कों तथा मिट्टी के बर्तनों पर कुषाण शासक विम कडफिसिस का प्रयुक्त ‘नंदीपद’ (ऊँ जैसी आकृति) भी अंकित हैा। इसके आलावा टेराकोटा धातुनिर्मित सामग्री मिली जो तथा दो दर्जन से अधिक शीशे- काँच के मनके प्राप्त हुए है।
References : 1. पुस्तक- प्राचीन भारत का इतिहास तथा संस्कृति, लेखक- के.सी.श्रीवास्तव
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