प्राचीन भारतइतिहासकुषाण वंश

कुषाणों का प्रारंभिक इतिहासःकुजुल कडफिसेस

कुजुल कडफिसेस-कुाणों का प्रथम शासक कुजुल कडफिसेस था, जो इतिहास में कडफिसेस प्रथम के नाम से भी प्रसिद्ध था। उसकी वजयों के विषय में पान-कू के ग्रंथ हाऊ-हान-शू तथा उसके सिक्कों से सूचना मिलती है। पता चलता है, कि उसने पार्थियनों पर आक्रमण कर किपिन तथा काबुल पर अधिकार कर लिया।इस प्रकार वह भारत के पश्चिमोत्तर प्रदेश का शासक बन बैठा।

कुजुल के दो प्रकार के सिक्के मिलते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  1. प्रथम प्रकार के सिक्कों के मुखभाग पर काबुल के अंतिम यवन शासक हर्मियस का नाम यूनानी लिपि में तथा पृष्ठभाग पर कुजुल का नाम खरोष्ठी लिपि में खुदा हुआ है। इन पर उसकी कोई राजकीय उपाधि नहीं मिलती है।
  2. दूसरे प्रकार के सिक्कों पर उसकी उपाधियाँ, जैसे – महाराजस महतस् कुषण-कुयुल कफस (महाराज महान् कुयुल कफ कुषाण का) उत्कीर्ण हैं।

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इस आधार पर ऐसा निष्कर्ष निकाला जाता है, कि प्रारंभ में कुजुल यवन नरेश हर्मियस के अधीन शासक था। परंतु बाद में स्वतंत्र हो गया। हर्मियस के बाद काबुल क्षेत्र में पल्लवों की सत्ता कायम हुई। ऐसा लगता है, कि पल्लवों को परास्त कर ही कुजुल ने काबुल तथा कांधार पर अधिकार कर लिया था। इस प्रकार कुजुल के समय में में कुषाण साम्राज्य के अंतर्गत संपूर्ण अफगानिस्तान तथा गांधार के प्रदेश सम्मिलित हो गये थे। पर्थिया तथा काबुल की विजय से पश्चिमी विश्व के साथ उसका घनिष्ठ संबंध स्थापित हो गया।

कुजुल कडफिसेस ने केवल ताँबे के सिक्के ही प्रचलित करवाये। उसके सिक्कों पर धर्मथित (धर्म में स्थित) उत्कार्ण हैं। इस आधार पर कुछ विद्वानों का मत है, कि उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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