प्राचीन भारत

मध्य पाषाण काल

मध्य पाषाण काल ( 10 हजार वर्ष पूर्व से 7000/6000 वर्ष पूर्व तक )

यह काल पुरापाषाण व नवपाषाण काल के मध्य का संक्रमण का काल है ।इस काल तक हिमयुग पूरी तरह से समाप्त हो चुका था तथा जलवायु गर्म तथा आद्र हो चुकी थी । जिसका प्रभाव पशु-पक्षी तथा मानव समूह पर पङा।

बङे पाषाण उपकरणों के साथ-2 लघु पाषाण उपकरण का प्रचलन भी मिलता है । ये उपकरण 1-8 से.मी. लंबे , विभिन्न आकार वाले – जैसे त्रिकोण , नवाचंद्राकार , अर्द्धचंद्राकार , ब्लेड आदि मिलते हैं।

मध्य पाषाण काल की सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी मनुष्य को पशुपालक बनाना । इस काल में आखेट के क्षेत्र में भी परिष्कार हुआ, वह तीक्ष्ण तथा परिष्कृत औजारों का प्रयोग करने लगा । प्रक्षेपास्र तकनीकि प्रणाली का विकास ( छोटे पक्षियों को मारने वाले छोटे उपकरण ) इसी काल में हुआ। तीर – कमान का विकास भी इसी काल में हुआ । बङे पशुओं के साथ-साथ छोटे पशु – पक्षियों एवं मछलियों के शिकार में विकास संभव हुआ।

मध्य पाषाण कालीन स्थल

राजस्थान , दक्षिणी उत्तरप्रदेश , मध्य भारत , पूर्वी भारत , दक्षिण भारत में कृष्णा नदी के दक्षिण क्षेत्र अर्थात राजस्थान से मेघालय तक व उत्तरप्रदेश से लेकर सुदूर दक्षिण तक प्राप्त हुए हैं ।

  • राजस्थान
    • बागोर ( भीलवाङा ) – बागोर एवं आदमगढ से पशुपालन के प्राचीनतम राक्ष्य मिले हैं . जिनका काल लगभग 5500 ई. पू. माना गया है। लेकिन यह अपवाद है क्योंकि पशुपालन का प्रारंभ नवपाषाण काल से माना जाता है। बागोर से पाषाण उपकरणों के साथ- साथ मानव कंकाल एवं परवर्ती काल के लोहे उपकरण भी प्राप्त हुए हैं।
    • तिलवार
  • मध्यप्रदेश
    • आदमगढ
  • उत्तरप्रदेश
    • बेलन घाटी
    • सरायनाहरराय – यहाँ से मानवीय आक्रमण के युद्ध का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुआ है, यहाँ से स्तंभ गर्त  (आवास हेतु झोंपङियों का साक्ष्य ) के साक्ष्य मिले हैं तथा गर्त चूल्हे के साक्ष्य भी मिले हैं । सरायनाहरराय से 8 संयुक्त गर्त चूल्हे प्राप्त हुये हैं जो संयुक्त परिवार प्रथा का उदाहरण है। यहाँ से आवास के प्रमाण मिले हैं ।
    • महादहा
  • गुजरात
    • लंघनाज
    • बलसाना
  • तमिलनाडु
    • टेरीसमूह
  • पश्चिमी बंगाल
    • वीरभानपुर
  • दक्षिण में संगनकल , रेणीगुंटा , तिन्नेवेली मध्यपाषाण युगीन अवशेष मिले हैं ।
  • पूर्वी भारत में मयूरभंज , सुंदरगढ , सेबालगिरि से मध्यपाषाण युगीन पुरातात्विक अवशेष मिले हैं ।

महत्वपूर्ण तथ्य 

  • महादहा (उ. प्र.) तथा सरायनाहरराय भारत में मध्यपाषाण काल के प्राचीनतम स्थल हैं ।
  • लंघनाज, महादहा, सरायनाहरराय से गर्त्त(जमीन के अंदर) चूल्हे के साक्ष्य मिले हैं । जहाँ से पशुओं की जली हुई हड्डीयाँ प्राप्त हुई हैं ।
  • सांभर क्षेत्र में लेखवा, खैरवा, गोविंदगढ से मानव द्वारा वृक्षारोपण के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
  • 1867 में सी.एन.कार्लाइल ने सिंहल(श्रीलंका) क्षेत्र से मध्यपाषाण स्थलों की प्रथम बार खोज की थी।
  • सबसे पहला मानव अस्थिपंजर मध्यपाषाण काल से मिला है।

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