प्राचीन भारतइतिहासगुप्त कालचित्रकला

पहली-दूसरी गुफाओं के चित्र

गुप्तयुग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी। गुप्तकाल के पूर्व चित्रकला के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। प्रारंभिक चित्र प्रागैतिहासिक युग की पर्वत गुफाओं की दीवारों पर प्राप्त होते हैं। कुछ गुहा-मंदिरों की दीवारों पर भी चित्रकारियाँ मिलती हैं। अजंता के गुफाचित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें बुद्ध तथा बोधिसत्वों का चित्रण मिलता है। बुद्ध के जीवन की विविध घटनाओं तथा जातक कथाओं के दृश्यों का अंकन बहुतायत से किया गया है।

गुप्तकाल तक आते-2 चित्रकारों ने अपनी कला को पर्याप्त रूप से विकसित कर लिया। इस युग की चित्रकला के इतिहास प्रसिद्ध उदाहरण आधुनिक महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता नामक स्थान स्थित है।

यहाँ चट्टान को काटकर उन्तीस गुफायें बनायी गयी थी। इनमें चार चैत्यगृह तथा शेष विहार गुफायें थी। इन गुफाओं पर चित्रकारी की गई है। इन गुफाओं में गुफा संख्या 1-2 गुफाओं के चित्रों का विवरण निम्नलिखित है-

पहली-दूसरी गुफाओं के चित्रों में सबसे सुंदर चित्र फारस देश राजदूत का है, जो चालुक्य नरेश पुलकेशिन् द्वितीय के दरबार में आया था। इस चित्र में पुलकेशिन् को दूत का स्वागत करते हुये दिखाया गया है। इसमें राजा दक्षिणी परंपरा के अनुरूप अधोवस्र पहने हुये हैं तथा राजदूत को ईरानी टोपी, जामा तथा चुस्त पायजामा पहने हुये चित्रित किया गया है। राजदूत की दाढी भी ईरानी ढंग की है।

पहली गुफा के चित्र

पहली गुफा में ही बोधिसत्व पद्मपणि अवलोकितेश्वर का एक सुंदर चित्रण किया गया है। जिन्हें दायें हाथ में नीलकमल लिये हुए कुछ टेढी मुद्रा में खङा दिखाया गया है।

बोधिसत्व की मुखमद्रा विश्व करुणा से परिपूर्ण एवं आध्यात्मिक विचारों में लीन है।

आँखों में सुख-दुःख का भाव समान रूप से जाग रहा है।

तीन शिखरों वाले मौलि एवं गले में मोतियों की माला का प्रदर्शन चित्रकार ने अत्यंत सूक्ष्मता एवं कुशलतापूर्वक किया है।

इस चित्र को हम एशियाई चित्रण कला की पराकाष्ठा कह सकते हैं। इस चित्र के बगल में एक नारी की आकृति बनी है, जिसे काली राजकुमारी कहा गया है।

पहली गुफा की ही एक भित्ति पर 12 फुट ऊँचा तथा 8 फुट लंबा बुद्ध का मार-विजय (कामदेव) का चित्र उत्कीर्ण मिलता है। बुद्ध तपस्या में लीन हैं, जिन्हें कामदेव कई कन्याओं के साथ रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। यह चित्र भी अत्यंत आकर्षक है। इसी गुफा में एक मधुपायी दंपत्ति का चित्रण है, जिसमें प्रेमी अपने हाथ से प्रेमिका को मधुपात्र देते हुए दिखाया गया है।

इसके बाद शारीरिक पीङा से दुःखी एक दुबली-पतली स्री का चित्रण अत्यंत सजीव एवं भावनात्मक है। यहीं बनी भित्ति पर नागराज की सभा का भी चित्रण है, जिसमें नर्तकियों का प्रदर्शन आकर्षक है।

पहली गुफा में शिवि जातक, शंखपाल जातक, चम्पेय जातक, महाजनक जातक, महाउम्मग्ग जातक से लिये गये अनेक दृश्यों का चित्रण किया गया है।

दूसरी गुफा के चित्र

दूसरी गुफा की चित्रकारियाँ अत्यंत आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक हैं। बायीं ओर चित्रों की एक श्रृंखला है, जिसमें सबसे पहले किसी राजप्रासाद का चित्रण है। संभवतः यह बुद्ध की माता मायादेवी का शयन कक्ष है। इसके आगे बोधिसत्व का चित्रण है, जिनके सिंहासन के दोनों ओर मकर की आकृतियाँ हैं। उनके हाथ धर्मचक्रप्रवर्त्तन मुद्रा में हैं।

एक अन्य दृश्य में शुद्धोधन तथा मायादेवी दिखाये गये हैं। साथ में परिचायिकायें भी चित्रित हैं। सामने दो ज्योतिषी तथा दाईं ओर एक स्तंभ के सहारे टिकी हुई एक सुसज्जित नारी का चित्रण है। इसके आगे सिद्धार्थ के जन्म की अलौकिक कथा चित्रित की गयी है।बायीं ओर विधुर पंडित जातक की कथा चित्रित है, जिसमें हाथी पर सवार विधुर पंडित धीरे-2 आगे बढते हुए जान पङते हैं।

इस प्रकार समग्र रूप में अजंता की चित्रकला प्रशंसनीय है। रेखाओं की निश्चितता एवं सूक्ष्मता, रंगों की चमक, प्रफुल्ल भाव तथा स्पंदमान जीवन के साथ अभिव्यक्ति की प्रचुरता आदि ने मिलकर अजंता की चित्रकला को सदा के लिये सर्वश्रेष्ठ बना दिया है। निश्चय ही यह भारतीय चित्रकला के चरमोत्कर्ष को द्योतित करती है।

अजंता चित्रकला से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर

अजंता चित्रकला किस काल से संबंधित है

Correct! Wrong!

अजंता कहां स्थित है

Correct! Wrong!

अजंता के गुफाचित्र किस धर्म से संबंधित हैं

Correct! Wrong!

चित्रशाला कौनसे नंबर की गुफा को कहा गया है

Correct! Wrong!

अजंता कि चित्रों में कौनसी गुफा के चित्र सबसे प्राचीन हैं

Correct! Wrong!

बोधिसत्व पद्मपणि अवलोकितेश्वर का सुंदर चित्र कौनसी गुफा के चित्र में चित्रित है

Correct! Wrong!

Reference : https://www.indiaolddays.com

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