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प्राचीन मिस्र की सभ्यता

प्राचीन मिस्र की सभ्यता

मिस्र के प्रथम राजवंश का प्रथम शासक मेनिस था।

विश्व की प्रथम महिला शासक प्राचीन मिस्र की रानी हटशेटपुट थी।

मिस्र को नील नदी की देन कहने वाला प्रमुख इतिहासकार हेरोडोट्स था। मिश्र का नेपोलियन थुटमोज तृतीय को कहा जाता है। (मध्यकालीन राज्य का एक प्रतापी सम्राट)

गीजा स्थित विश्व प्रसिद्ध पिरामिड का निर्माता-मिश्र का एक महान फराओ चियोप्स (खूफू)। इसने 2600 ई.पू. में विश्व प्रसिद्ध पिरामिड का निर्माण कराया था।

अधिकांश पिरामिण्डों का निर्माण नील नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित नेनफिस नगर में किया गया था।

प्रसिद्ध गीज ऑफ मेडियम की दीवारें सफेद और काले रंग की हैं। प्राचीन मिस्र का प्रधान देवता – रॉ सूर्य देवता था।

मिस्र सभ्यता के समय हुई विभिन्न राजनैतिक घटनाओं को देखते हुये मिश्र के राजनैतिक इतिहास को तीन भागों में विभक्त किया गया है, जो निम्नलिखित हैं –

  1. पिरामिड युग 34,00 ई.पू.से 2500 ई.पू. तक,
  2. सामंतशाही युग 25,00 ई.पू.से 1800 ई.पू. तक
  3. नवीन साम्राज्य 1580 ई.पू. से 1150 ई.पू. तक

पिरामिड काल का प्रथम शासक मीन्स था। इसी के समय में मिश्र के वास्तविक राजनैतिक जीवन का श्रीगणेश हुआ।

2500 ई.पू. तक फराओ की शक्ति का पूर्ण ह्रास हो गया। इसके परिणामस्वरूप मिश्र के राजनैतिक इतिहास में एक नये युग का श्रीगणेश हुआ, जिसे सामंतशाही काल कहा जाता है।

पिरामिड युग की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि पिरामिड का निर्माण था, जिसको फराओ ने स्वयं की मृत्यु के बाद दफनाये जाने के लिये बनवाया था। मिश्र के इतिहास में सामंतशाही युग 2500 ई.पू. से 1800 ई.पू. तक रहा।

इसके बाद नवीन साम्राज्य की स्थापना हुई, जो हर दृष्टि से पिरामिड काल का उत्तराधिकारी कहा जा सकता है। इस काल को नवीन साम्राज्य कहा जाता है।

पिरामिड

मिस्र के इतिहास का प्रारंभिक काल (3400 ई.पू. से 2500 ई.पू.) पिरामिड युग के नाम से जाना जाता है। इसी काल में विश्वविख्यात पिरामिडों का निर्माण हुआ। मिस्र के लोग मृतकों के वास के लिये विशाल समाधियाँ बनाते थे, जिन्हें पिरामिड कहते थे।

पिरामिड प्रायः शासकों (फराओ) और सामंतों द्वारा निर्मित किये गये।

आकार-प्रकार एवं कलात्मक दृष्टि से ये अत्यन्त विशाल, भव्य और आकर्षक हैं। वैसे तो ये ठोस बने हुये हैं, परंतु नीचे कब्रों तक पहुँचने के लिये इनमें रास्ते बने हुए हैं। अंदर प्रकाश और वायु की समुचित व्यवस्था के लिये इनमें सुरंगें भी बनी हुई हैं।

पिरामिड में एक कमरा होता था, जहाँ सम्राटों की ममियाँ रखी जाती थी।

गीजे का विश्व प्रसिद्ध पिरामिड

मिस्र में पिरामिडों की कुल संख्या लगभग 70 है, इनमें गीजे का पिरामिड सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसका निर्माण मिस्र के चौथे राजवंश के सम्राट खूफू ने करवाया था।

13 एकङ भूमि में विस्तृत इस पिरामिड की लंबाई 755 फीट एवं चौङाई 484 फीट है तथा यह विश्व का सबसे बङा पिरामिड है। 1818 ई. में सर्वप्रथम कैप्टन कैविंगलियन ने स्फिंक्स की खोज की थी।

स्फिंक्स पत्थर एवं धातु से निर्मित विचित्र आकार-प्रकार की मूर्ति है।

कुछ का सिर मनुष्य जैसा तो शरीर शेर जैसा तथा कुछ का मुख शेर जैसा एवं शरीर मनुष्य जैसा है।

इस प्रकार की मूर्ति गीजे के विशाल पिरामिड के निकट भी स्थित है। इसमें एक सोये हुये शेर की आकृति है, जिसका शरीर मनुष्य जैसा है।

ममी एक प्रकार के सुरक्षित शव हैं।

ममी की सर्वप्रथम खोज 1892 ई. में सर फ्लाइण्डर्स पीट्री ने की थी। यह मिश्र सभ्यता की विश्व को एक आश्चर्यजनक देन है।

ईसा से 6 शताब्दी पूर्व यूनान में एक महान सभ्यता का जन्म हुआ।

यूनानी सभ्यता एकियन तथा डोरियन जाति के लोगों द्वारा विकसित की गयी थी।

यूनान में सभी जातियों के लोग हैलेन कहलाते थे, जिसका अर्थ यूनानी होता है। नगर-राज्यों की स्थापना प्राचीन यूनान की एक महत्त्वपूर्ण देन है। यूनान में नगर-राज्यों की संख्या 450 थी। इनमें एथेन्स एवं स्पार्टा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। स्पार्टा में राजतंत्र एवं एथेन्स में लोकतांत्रिक शासन पद्धति प्रचलित थी। एथेन्स के नगर राज्य में पेरिक्लीज एवं ड्रेको जैसे विख्यात शासक हुए।

ड्रेको ने एथेन्स में ऐसे कानून प्रतिपादित किये जो अत्यन्त कठोर माने जाते थे। कालांतर में ड्रेकोनियन शब्द क्रूरता का प्रतीक बन गया।

पेरिक्लीज का शासनकाल यूनान का स्वर्ण युग कहलाता है। यूनान के सबसे अधिक प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक एवं दार्शनिक सुकरात थे, उनके शिष्य प्लेटो एवं अरस्तु थे।

सुकरात को आधुनिक तर्कशास्त्र का जनक कहा जाता है। सुकरात का शिष्य प्लेटो भी राजनीतिशास्त्र का पिता के नाम से जाना जाता है। प्लेटो ने ही रिपब्लिक की रचना की थी।प्राचीन यूनान ही महान विभूति होमर ने यूनान के जीवन एवं समाज की तस्वीर पेश करने वाली कृति इलियड तथा ओडिसी की रचना की।

यूनानी सभ्यता ने विश्व को पाइथागोरस तथा यूक्लिड जैसे महान गणितज्ञ दिये। यूनानियों का विश्वास था, कि देवता लोग ओलिम्पस पर्वत पर निवास करते हैं। यूनान में डैलफी का अपोलो देवता का मंदिर काफी प्रसिद्ध था।

यह मंदिर ओलिम्पस पर्वत पर स्थित था। यहीं पर प्रत्येक चार वर्ष में प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाता था।

देवी-देवताओं के निवास हेतु निर्मित मंदिरों में एथेन्स का पार्थीनियन मंदिर विख्यात है। यूनानी सभ्यता का प्रमुख व्यापार केन्द्र सिकन्दरिया में स्थित था।

प्राचीन यूनान के इतिहासकारों में ह्यूसिडायडीज, जेनोफोन एवं प्लूटार्क प्रमुख थे।

हिस्ट्री ऑफ द थाउजेंट जेनोपोन की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। प्लूटार्क ने अपनी रचना लाइव्ज ऑफ इलस्ट्रियस मेन नामक ऐतिहासिक ग्रंथ में यूनान के प्रसिद्ध व्यक्तियों का जीवन चरित्र लिखा है। छोटे वर्ग के व्यापारियों को एथेन्स में मेटिक (स्वतंत्र) तथा स्पार्टा में पेरियोकाई कहा जाता था। स्पार्टा में पेरियोकाई कहा जाता था। स्पार्टा में दास वर्ग हिलोट के नाम से जाने जाते थे। सोफिक्लिज के दुखान्त नाटक विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।

प्राचीन विश्व का महान गणितज्ञ आर्किमिडीज (287-212ई.पू.) यूनान का ही था। उसके अनुसंधानों के आधार पर ही गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का विकास हुआ। हिप्पोक्रेटिज एवं एनक्जिमेंडर जैसे वैज्ञानिक भी यूनानी सभ्यता की ही देन हैं। यूनानी दार्शनिक थेल्स ने सबसे पहले बताया कि सूर्यग्रहण कैसे होता है। अरिस्टार्कस ने बताया कि सूर्य स्थिर है तथा इसकसे इर्द-गिर्द पृथ्वी तथा अन्य नक्षत्र घूमते हैं, उसी ने बताया कि सूर्य पृथ्वी से बङा है।

अरिस्टार्कस ने ही सर्वप्रथम सूर्य एवं चंद्रमा की दूरी का सही अंदाजा लगाया। पृथ्वी के आधार तथा व्यास का सही अंदाजा इरैटोस्थनीज (279-196ई.पू.) ने लगाया, सिर्फ उसमें 320 किमी. की भूल की।

यूनानियों के देवी-देवता

जियस – यूनानियों का सबसे बङा देवता था। वह आकाश का देवता था एवं उसी के कारण बिजली चमकती थी।

हेरा – जियस की पुत्री एवं स्वर्ग की देवी।

पोसीदन – जियस की पुत्री एवं समुद्र की देवी।

एथिना – कला-देवी (सरस्वती के समान)

डेमिस्तर – धरती की माता।

अपोलो – सूर्य।

डायोनीसस – मंदिरों का देवता।

इरैटोस्थनीज ने विश्व का एक मानचित्र भी बनाया जो करीब-करीब ठीक था। चिकित्सा विज्ञान का जनक हिप्पोक्रेटीज यूनान का ही था। उसने पहली बार कहा कि प्रत्येक रोग का कोई-न-कोई प्राकृतिक कारण होता है।

हेराक्लिज ने शरीर विज्ञान एवं नाङी-क्रिया का विशेष रूप से अध्ययन किया। वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में थियोफ्रेस्टस की देन उल्लेखनीय है। उसने लगभग 600 पेङ-पौधों का अध्ययन किया तथा नये तथ्य प्रकाश में आये।

हेलेनिस्टक युग में ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में और गति आयी जिस कारण सिकन्दरिया वैज्ञानिक अध्ययन का महत्त्वपूर्ण केन्द्र बन गया।

हेराक्लिटीज ने बताया कि मंगल तथा बुध सूर्य के चारों ओर घूमते हैं और पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार चक्कर पूरा करती है। यूनान की सबसे बङी देन लोकतंत्र तथा उत्तरदायी सरकार है। मतदान द्वारा बहुमत जानने की प्रणाली का ज्ञान विश्व ने यूनान से ही प्राप्त किया। यूनान में ही सर्वप्रथम नाटक लिखे गये, महाकाव्यों की रचना की गई। पहला इतिहास यूनान में ही लिखा गया।

यूनान की सभ्यता का पतन पोलोनेशियन युद्ध में हुआ। यह सभ्यता यूरोपीय सभ्यता की जननी मानी जाती है।

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