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जम्मू-कश्मीर की समस्या क्या थी?

जम्मू-कश्मीर की समस्या

जम्मू-कश्मीर की समस्या (Jammu and Kashmir)-

जम्मू-कश्मीर की समस्या सबसे अधिक गंभीर सिद्ध हुई। इस राज्य का शासक तो हिन्दू था किन्तु उसकी बहुसंख्यक जनता मुस्लिम थी। उसकी सीमाएँ पाकिस्तान और भारत दोनों में मिली हुई थी। इसिलए कश्मीर के डोगरा शासक ने भारत तथा पाकिस्तान – किसी के साथ मिलने के स्थान पर स्वतंत्र रहने का निर्णय किया। परंतु पाकिस्तान को उसका यह निर्णय पसंद नहीं आया। वह मुस्लिम बहुसंख्यक कश्मीर को अपने साथ मिलाना चाहता था।

सर्वप्रथम, पाकिस्तान ने कश्मीर की आर्थिक नाकेबंदी के द्वारा उसे झुकाने की सोची और तदनुसार उसने कश्मीर राज्य को अनाज, नमक, पेट्रोल आदि आवश्यक सामग्री भेजना बंद कर दिया। परंतु जब यह उपाय अधिक कारगर सिद्ध नहीं हुआ तो पाकिस्तान ने हिंसक उपाय का सहारा लिया।

पाकिस्तानी सहायता और प्रेरणा से वशीभूत उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रांत के कबाइलियों ने 22 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया तथा 4 दिन में ही वे कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 15 मील दूर बारामूला नामक स्थान तक पहुँच गये। राज्य के अधिकांश मुस्लिम सैनिक भी कबाइलियों से मिलते गये।

24 अक्टूबर को राजा हरिसिंह ने भारत सरकार से सैनिक सहायता का अनुरोध किया और कश्मीर के मुख्यमंत्री मेहचंद महाजन ने भारत के प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की, परंतु पं.नेहरू उस समय तक कश्मीर को सहायता देने के लिए तैयार न हुए जब तक कि राज्य के मुख्य राजनीतिक दल-नेशनल कान्फ्रेंस के नेता शेख अब्दुल्ला ने पं.नेहरू को यह आश्वासन नहीं दिया कि राज्य में संवैधानिक शासन की शर्त पर वह और उनका दल कश्मीर को भारत में सम्मिलित किये जाने के पक्ष में हैं।

अंत में, कश्मीर को भारत में सम्मिलित करने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। यह भी निश्चित किया गया कि बाद में कश्मीर से इस विषय पर जनमत संग्रह किया जायेगा। इस समझौते के बाद 27 अक्टूबर को हवाई मार्ग से भारतीय सेना श्रीनगर भेजी गयी जिसने दुश्मन के जबरदस्त आक्रमण से श्रीनगर को बचा लिया। कश्मीर को अपने हाथ से निकलते देखकर पाकिस्तान की सेना ने कबाइलियों के नाम पर युद्ध में हस्तक्षेप किया परंतु भारतीय सेना के सामने उसकी एक न चली और कुछ ही दिनों में पाकिस्तानी सेना बराबर पीछे हटती गयी। आधुनिक कश्मीर का इतिहास

दूसरी ओर 1 जनवरी, 1948 को भारत ने सुरक्षा परिषद में यह शिकायत की कि पाकिस्तान से सहायता प्राप्त करके कबाइलियों ने भारत के एक अंग कश्मीर पर आक्रमण कर दिया है जिससे अंतरार्ष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है। प्रत्युत्तर में पाकिस्तान ने भारत पर बदनीयती का आरोप लगाया और भारत में कश्मीर के विलय को असंवैधानिक करार दिया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों के फलस्वरूप 1 जनवरी, 1948 ई. में भारत और पाकिस्तान युद्ध विराम के लिए सहमत हो गया। इस प्रकार, कश्मीर को भारत में सम्मिलित किया गया यद्यपि पाकिस्तान के आक्रमण के कारण कश्मीर का बहुत बङा क्षेत्र आज भी पाकिस्तान के अधिकार में है। संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता से भी कोई लाभ नहीं हुआ और कश्मीर आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का कारण बना हुआ है।

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