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मनुष्य जीवन के चार पुरुषार्थ : धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष

हिन्दू धर्म में पुरुषार्थ से तात्पर्य मानव के लक्ष्य या उद्येश्य से है। पुरुषार्थ =पुरुष +अर्थ अर्थात मानव को क्या प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये।प्रायः मनुष्य के लिये वेदों में 4 पुरुषार्थों का नाम लिया गया है। पुरुषार्थ मनुष्य का सर्वांगीण विकास करता है। 4 पुरुषार्थों का नाम लिया गया है-धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।

  • धर्म-

नैतिक कर्तव्यों का समूह।(ब्रह्मचर्य आश्रम में)

  • अर्थ-

भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना। (गृहस्थ आश्रम के लिए)

  • काम –

संतानोत्पति करना(गृहस्थ आश्रम के लिए)

  • मोक्ष-

जन्म-मरण चक्र से मुक्ति तथा जीवन के दुखों से मुक्ति। (संयास , वानप्रस्थ  आश्रम के लिए)

मोक्ष के दो रूप हैं-1. संदेह मुक्ति-जीवन से मुक्ति महावीर स्वामी, महात्मा बुद्ध, कृष्ण आदि।   इसी जीवन में मिलने वाला मोक्ष। 2. विदेह मुक्ति- मरने के बाद  मिलने वाला मोक्ष।

Reference: https://www.indiaolddays.com/

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