हिन्दु धर्म ग्रंथ वेद
चार वेद परिचयः
वेद प्राचीन भारत के साहित्य हैं तथा हिन्दुओं के धर्म ग्रंथ भी हैं।
वेद सबसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में से एक हैं। वेद शब्द संस्कृत भाषा के विद् शब्द से बना है। अतः वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान है । अर्थात् वेदों को हम ज्ञान के ग्रंथ कह सकते हैं। वेदों की संख्या चार है। वेदों को अपौरुषेय भी कहा जाता है(जिसे कोई व्यक्ति द्वारा नहीं लिखा गया।) । वेदों को सुनकर ज्ञान गृहण किया गया है अतः इन्हें श्रुति भी कहा गया है। इनकी भाषा वैदिक संस्कृत है।
चार वेद –
1.ऋग्वेद–
ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।यह वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इसमें 10 मंडल , 1028 सूक्त, 3 शाखाएँ हैं। वेद मंत्रों को सूक्त कहा जाता है। गायत्री मंत्र का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति वाले मंत्र हैं।
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ऋग्वेद की 3 शाखाएँ-
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साकल शाखा- 1017 मंत्र (वर्तमान में उपलब्ध)
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वाष्कल शाखा- वाष्कल शाखा में 57 मंत्र हैं।
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वालखिल्य शाखा- वालखिल्य शाखा में 11 मंत्र हैं।
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ऋग्वेद से संबंधित पुरोहित-होता/होतृ कहलाता था।( ऋक् संहिता का पुनर्सृजन कर प्रार्थना करने वाले पुरोहित)
ऋग्वेद का उपवेद – आयुर्वेद है।
ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ- ऐतरेय ब्राह्मण, कौषितकी ब्राह्मण।
ऋग्वेद के उपनिषद– ऐतरेय उपनिषद, कौषितकी उपनिषद।
ऋग्वेद में 10 मंडल हैं जिसमें से 2 से 7 वाँ मंडल सबसे प्राचीन है और गौत्र-मंडल भी कहलाते हैं। क्योंकि इनकी रचना गौत्र विशेष के ऋषियों द्वारा की गई थी।
- ऋग्वेद का 7 वा मंडल शिक्षा से संबंधित है।
- 9 वा मंडल सोम (वनस्पति के देवता) को समर्पित है अतः इस मंडल को सोम मंडल कहते हैं।
- पहला तथा 10 वा मंडल सबसे नये मंडल हैं।
- 10 वा मंडल के पुरुष सूक्त में प्रथम बार चतुरवर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का उल्लेख मिलता है।
- 10 वा मंडल के विवाह सूक्त वैदिक कालीन विवाह प्रणाली का उल्लेख मिलता है।
- 10 वा मंडल के नदी सूक्त में 42 नदीयों की चर्चा है जबकि केवल 19 नदीयों का नाम दिया गया है।
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2. सामवेद–
सामवेद में साम शब्द का अर्थ है गान । अर्थात हम कह सकते हैं कि सामवेद में ऋग्वैदिक मंत्रों को गाने योग्य बनाया गया है। इसमें 1875 ऋचाएँ हैं । तथा 75 सूक्तों को छोङकर शेष सूक्त ऋग्वेद से लिए गये हैं।
- इसे प्राचीन भारतीय संगीत शास्त्र कहा जाता है।
- सामवेद का प्रमुख देवता सविता (सूर्य) है , किन्तु सूर्य के अलावा इंद्र तथा सोम का भी वर्णन मिलता है ।
- सामवेद को भारतीय संगीत का मूल माना जाता है।
- इस वेद का प्रथम द्रष्टा वेदव्यास के शिष्य जैमिनी को माना गया है।
- अनुष्ठान और हवन के समय सामवेद के मंत्र गाये जाते हैं।
सामवेद के 2 भाग हैं–
- आर्चिंक
- गान
सामवेद की 3 वाचनाएँ / संहिता-
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कौथुम संहिता (गुजरात)
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रामायणीय संहिता(महाराष्ट्र)
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जैमिनीय संहिता(कर्नाटक)
सामवेद के पुरोहित -उद्गाता/उद्गातृ कहलाते हैं।
श्रीकृष्ण – “वेदों में मैं सामवेद हूँ।”
सामवेद का उपवेद – गंधर्ववेद।
सामवेद के ब्राह्मण ग्रंथ-
- पंचविश ब्राह्मण (ताण्डव)
- षडविश ब्राह्मण
- जैमिनीय ब्राह्मण
- छांदोग्य ब्राह्मण
सामवेद के उपनिषद–
- छांदोग्य उपनिषद – कृष्ण , विष्णु से संबंधित ।
- केन उपनिषद
3.यजुर्वेद–
यजुर्वेद हिन्दु धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ है तथा 4 वेदों में से एक वेद है। इसमें गद्य तथा पद्य दोनों में मंत्र हैं लेकिन यह वेद मुख्य रूप से गद्यात्मक ग्रंथ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मंत्रों को यजुस कहा जाता है।
- यजुर्वेद में यज्ञों की विधियों का वर्णन मिलता है, यह वेद कर्मकाण्डीय ग्रंथ है।
- ऋग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु प्रदेश में हुई जबकि यजुर्वेद की रजना कुरुक्षेत्र प्रदेश में हुई।
यजुर्वेद के 2 भाग-
- कृष्ण यजुर्वेद – दक्षिण भारत में कृष्ण यजुर्वेद शाखा का उदय हुआ।
- शुक्ल यजुर्वेद-उत्तरी भारत में शुक्ल यजुर्वेद शाखा का उदय हुआ।
यजुर्वेद की संहिता–
- कृष्ण यजुर्वेद की संहिता– कठ(काठक संहिता), तैतिरीय संहिता, मैत्रायणी संहिता।
- शुक्ल यजुर्वेद की संहिता– वाजसनेयी संहिता।
यजुर्वेद के पुरोहित- अध्वर्य।
यजुर्वेद का उपवेद- धनुर्वेद।
यजुर्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ-
- कृष्ण यजुर्वेद – तैतिरीय ब्राह्मण
- शुक्ल यजुर्वद – शतपथ ब्राह्मण
यजुर्वेद के उपनिषद–
- कृष्ण यजुर्वेद -तैतिरीय उपनिषद, कठोपनिषद(यम-नचिकेता संवाद), श्वेताश्वर उपनिषद(रुद्र से संबंधित), मैत्रायणी उपनिषद।
- शुक्ल यजुर्वेद- वृहदारण्यक उपनिषद , ईशोपनिषद।
4.अथर्ववेद–
अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्म ग्रंथ वेदों में से एक है। यह वेद सबसे बाद में लिखा गया। अथर्ववेद में देवताओं की स्तुति के साथ-2 चमत्कार, चिकित्सा विज्ञान और दर्शन के भी मंत्र हैं। इसके रचयिता श्री ऋषि अथर्व हैं।
- यह वेद आर्य संस्कृति के साथ-2 अनार्य संस्कृति से भी संबंधित है। अतः इस वेद को पूर्व के तीन वेदों के समान महत्त्व , प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं है और इसे वेदत्रयी (ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद) में शामिल नहीं किया गया ।
- इसमें 20 मंडल , 731 सूक्त, 5497 मंत्र मिलते हैं, जिसमें से 200 मंत्र ऋग्वेद से लिये हैं।
- अथर्ववेद में तंत्र-मंत्र , जादू-टोना, शल्य चिकित्सा, औषधि विज्ञान की जानकारी भी मिलती है। (अनार्य संस्कृति के तत्व)
- इस वेद को भारतीय चिकित्सा शास्त्र का प्राचीनतम ग्रंथ कहा जाता है।
- मगध, अंग जैसे क्षेत्रों , हस्तिनापुर के राजा परीक्षित का उल्लेख भी अथर्ववेद में मिलता है। मगध के लोगों को अथर्ववेद में व्रात्य कहा गया है।
अथर्ववेद के 2 भाग (शाखाऐं)-
- शोनक शाखा
- पिप्पलाद शाखा
अथर्ववेद के पुरोहित-ब्रह्मा(जो यज्ञ का निरीक्षण करता है।)
अथर्ववेद के उपवेद- शिल्पवेद ।
अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रंथ- गोपथ।
अथर्ववेद के उपनिषद- मूण्डक, माण्डूक्य, प्रश्न।
- मूण्डक -सत्यमेव जयते (यज्ञ की तुलना फुटी हुई नाव से की गई है।)