इतिहासप्राचीन भारतवैदिक काल
ऋग्वेद संहिता
ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।
यह वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है , इसमें 10 मंडल , 1028 सूक्त, 3 शाखाएँ हैं।
वेद मंत्रों को सूक्त कहा जाता है। गायत्री मंत्र का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है। ऋग्वेद में देवताओं की स्तुति वाले मंत्र हैं।
ऋग्वेद की 3 शाखाएँ-
- साकल शाखा- 1017 मंत्र (वर्तमान में उपलब्ध)
- वाष्कल शाखा-वाष्कल शाखा में 57 मंत्र हैं।
- वालखिल्य शाखा-वालखिल्य शाखा में 11 मंत्र हैं।
ऋग्वेद में 10 मंडल हैं जिसमें से 2 से 7 वाँ मंडल सबसे प्राचीन है और गौत्र-मंडल भी कहलाते हैं। क्योंकि इनकी रचना गौत्र विशेष के ऋषियों द्वारा की गई थी।
ऋग्वेद से संबंधित पुरोहित-होता/होतृ कहलाता था।( ऋक् संहिता का पुनर्सृजन कर प्रार्थना कराने वाले पुरोहित)
ऋग्वेद का उपवेद – आयुर्वेद है।
ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथ- ऐतरेय ब्राह्मण, कौषितकी ब्राह्मण।
ऋग्वेद के उपनिषद– ऐतरेय उपनिषद, कौषितकी उपनिषद।
- ऋग्वेद का 7 वा मंडल शिक्षा से संबंधिक है।
- 9 वा मंडल सोम (वनस्पति के देवता) को समर्पित है अतः इस मंडल को सोम मंडल कहते हैं।
- 1 ला तथा 10 वा मंडल सबसे नये मंडल हैं।
- 10 वा मंडल के पुरुष सूक्त में प्रथम बार चतुरवर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) का उल्लेख मिलता है।
- 10 वा मंडल के विवाह सूक्त वैदिक कालीन विवाह प्रणाली का उल्लेख मिलता है।
- 10 वा मंडल के नदी सूक्त में 42 नदीयों की चर्चा है जबकि केवल 19 नदीयों का नाम दिया गया है।
Reference : https://www.indiaolddays.com