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राज्य पुनर्गठन अधिनियम ( जुलाई, 1956)

राज्य पुनर्गठन अधिनियम

राज्य पुनर्गठन अधिनियम (State Reorganization Act)

राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट के प्रकाश में आते ही भारत के कई क्षेत्रों में असंतोष फूट पङा।बंबई में तो व्यापक पैमाने पर उपद्रव हुए। महाराष्ट्र के लोग भाषा के आधार पर पृथक् महाराष्ट्र राज्य की माँग करने लगे तो गुजरात के लोग सौराष्ट्र और गुजरात को मिलाकर पृथक् महाराष्ट्र राज्य की माँग करने लगे। तत्कालीन केन्द्रीय वित्तमंत्री देशमुख जब पृथक महाराष्ट्र की स्थापना के लिए नेहरू को नहीं मना पाये तो उन्होंने इस प्रश्न पर मंत्री-पद से ही त्यागपत्र दे दिया।

संसद के दोनों सदनों में भी इस विषय पर जोरदार बहस होती रही।अंत में जुलाई, 1956 ई. में संसद ने एक राज्य-पुनर्गठन अधिनियम पारित कर दिया। इस अधिनियम में आयोग की रिपोर्ट में कुछ परिविर्तन किये गये।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार पंजाब और पेप्सू को मिलाकर एक राज्य बना दिया गया। परंतु हिमाचल प्रदेश को केन्द्रीय क्षेत्र बना दिया गया। बंबई राज्य का आकार बढा दिया गया। विदर्भ राज्य और हैदराबाद राज्य के मराठवाङा क्षेत्र को बंबई राज्य में मिला दिया गया।

हैदराबाद राज्य के कुछ हिस्से को मैसूर राज्य में मिला दिया गया। बदले में तैलंगाना क्षेत्र को आंध्र प्रदेश में सम्मिलित कर दिया गया। आयोग की अनुशंसा के अनुसार मध्यप्रदेश और केरल दो राज्य बना दिये गये।

भोपाल राज्य को मध्यप्रदेश में मिला दिया गया। इसी प्रकार केन्द्र शासित अजमेर क्षेत्र को राजस्थान में मिला दिया गया।इस अधिनियम की एक विशेषता राजप्रमुखों के पद की समाप्ति थी। अब सभी राज्यों के लिये राज्यपाल पद की व्यवस्था की गई।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम की एक अन्य विशेषता क, ख, ग और घ श्रेणी के राज्यों के मध्य विद्यमान अंतर को समाप्त करना था। अब गणराज्य की केवल दो इकाइयाँ रखी गई- राज्य तथा केन्द्रीय क्षेत्र। 1956 के अधिनियम के अनुसार राज्यों की कुल संख्या 14 निर्धारित की गई जो इस प्रकार थे- 1) जम्मू-कश्मीर, 2.) पंजाब, 3.)उत्तर – प्रदेश, 4) बिहार, 5.) बंगाल , 6.) असम, 7) उङीसा, 8) आंध्र प्रदेश, 9) तमिलनाडु, 10) केरल, 11) मैसूर, 12) बंबई, 13) मध्यप्रदेश, और राजस्थान।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार निम्न क्षेत्रों को केन्द्रीय शासन के अंतर्गत रखा गया-

हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, मणिपुर, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीप, लकादिव और मिनिकोयद्वीप।

महाराष्ट्र और गुजरात के नये राज्य-

राज्य पुनर्गठन अधिनियम की नूतन व्यवस्था से महाराष्ट्र तथा गुजरात के लोगों को संतोष नहीं हुआ। वे लोग बंबई राज्य के विभाजन के लिये आंदोलन चलाते रहे। जन-आंदोलन जब हिंसक हो उठा तो केन्द्रीय सरकार ने जनभावना का आदर करना ही उचित समझा। तदनुसार मई, 1960 ई. को बंबई राज्य के दो टुकङे कर दिये गये- एक महाराष्ट्र जिसकी राजधानी बंबई रही और दूसरा गुजरात, जिसकी राजधानी अहमदाबाद रखी गयी।

इस पुनर्गठन के परिणामस्वरूप भारतीय गणराज्य के राज्यों की संख्या बढ गई।

Reference : https://www.indiaolddays.com/

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