मीर जाफर कौन था

मीरजाफर(1757-1760ई.)
क्लाइव ने30जून,1757ई.को मुर्शिदाबाद में मीरजाफर को बंगाल के नवाब के पद पर आसीन कराया।इसी समय से बंगाल में कंपनी ने नृप निर्माता की भूमिका की शुरुआत की।
बंगाल की नवाबी प्राप्त करने के उलक्ष्य में मीर जाफर ने कंपनी को 24 परगना की जमींदारी पुरस्कार के रूप में दिया।
मीरजाफर ने अंग्रेजों को उनकी सेवा के बदले ढेर सारा पुरस्कार दिया।क्लाइव को उसने 2लाख34हजार पौण्ड की व्यक्तिगत भेंट, 50लाख रुपये सेना तथा नाविकों को पुरस्कार के रूप में तथा बंगाल की सभी फ्रांसीसी बस्तियों को जाफर ने अंग्रेजों को सौंप दिया।
मीर जाफर एकदुर्बल,दुविधाग्रस्त और राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षमताओं से हीन व्यक्ति था जिसके कारण शीघ्र ही उसके शक्तिशाली हिन्दू सहयोगी राजा रामनारायण (बिहार)और दीवान दुर्लभराय उसके विरोधी बन गये।
मीरजाफर के बारे में कहा जाता है कि उसने अंग्रेजों को इतना अधिक धन दिया कि उसे अपने महल केसोने-चाँदी के बर्तन भी बेचने पङे।कर्नल मेलसेन के अनुसार-कंपनी के अधिकारियों का यह उद्देश्य था कि जितना हो सके उतना हङप लो,मीरजाफर को एक सोने की बोरी के रूप में इस्तेमाल करो और जब भी इच्छा हो उसमें हाथ डालो।
कालांतर में मीरजाफर के अंग्रेजों से संबंध अच्छे नहीं रहे क्योंकि नवाब के प्रशासनिक कार्यों में अंग्रेजों के विरुद्ध षड्यंत्र करने लगा।
अंग्रेजी सरकार के खर्च में दिन प्रतिदिन हो रही बेतहासा वृद्धि और उसे वहन न कर पाने के कारण मीरजाफर ने अक्टूंबर, 1760ई. में अपने दामाद मीरकासिम के पक्ष में सिंहासनत्याग दिया।
मुर्शिदाबाद में मीरजाफर को कर्नल क्लाइव का गीदङ कहा जाता था।
मीरजाफर के शासन काल में ही अंग्रेजों ने बांटो और राज करो की नीति को जन्म देते हुए एक गुटको दूसरे गुट से लङाने की शुरुआत की।क्लाइव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतुमीरजाफर ने तत्कालीन मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय को उमरा की उपाधि और 24 परगना कीजमींदारी प्रदान की। 24 परगना की जागीर को क्लाइव की जागीर के नाम से जाना जाता था।
Reference : https://www.indiaolddays.com/