पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति
बौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान एवं तारानाथ के विवरणों में पुष्यमित्र शुंग को बौद्धों का घोर शत्रु माना गया है।ऐसा भी माना गया है कि पुष्यमित्र शुंग ने स्तूपों और विहारों का विनाश किया था।
बौद्ध धर्म से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य।
दिव्यायवदान से पता चलता है, कि उसने लोगों से अशोक की प्रसिद्धि का कारण पूछा। इस पर उसे पता चला कि अशोक ने 84,000 स्तूपों का निर्माण करवाया था। जिसके कारण वह प्रसिद्ध हुआ। पुष्यमित्र ने इसके विपरीत उन 84,000स्तूपों को विनष्य करके प्रसिद्ध होने की सोची।
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अपने ब्राह्मण पुरोहित की राय पर पुष्यमित्र शुंग ने महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं को समाप्त करने की प्रतिज्ञा की। वह पाटलिपुत्र स्थित कुक्कुटाराम के महाविहार को नष्ट करने के लिये गया, परंतु एक गर्जन सुनकर डर गया और वापस लौट आया।
उसके बाद चतुरंगिणी सेना के साथ मार्ग में स्तूपों को नष्ट करता हुआ, विहारों को जलाता हुआ तथा भिक्षुकाओं को मारता हुआ पुष्यमित्र शाकल पहुँचा।
शाकल में उसने घोषणा की कि, जो मुझे एक भिक्षु का सिर लाकर देगा उसे मैं 100 दीनार दूँगा।
क्षेमेन्द्र नाथ ने अवदानकल्पलता में पुष्यमित्र का चित्रण बौद्ध धर्म के संहारक के रूप में किया है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/