इतिहासप्राचीन भारत
चैत्य किसे कहते हैं
चैत्य का शाब्दिक अर्थ है, चिता-संबंधी। शवदाह के बाद बचे हुए अवशेषों को भूमि में गाङकर उनके ऊपर जो समाधियां बनाई गई, उन्हीं को प्रारंभ में चैत्य अथवा स्तूप कहा गया। इन समाधियों में महापुरुषों के धातु-अवशेष सुरक्षित थे, अतः चैत्य उपासना के केन्द्र बन गये।

कालांतर में बौद्धों ने इन्हें अपनी उपासना का केन्द्र बना लिया और इस कारण चैत्य-वास्तु बौद्धधर्म का अभिन्न अंग बन गया। पहले चैत्य या स्तूप खुले स्थान में होता था, किन्तु बाद में उसे भवनों में स्थापित किया गया। इस प्रकार के भवन चैत्यगृह कहे गये। ये दो प्रकार के होते थे।
- पहाडों को काटकर बनाये गये चैत्य
- ईंट-पत्थरों की सहायता से खुले स्थान में बनाये गये चैत्य
Reference : https://www.indiaolddays.com