प्राचीन भारतइतिहासवैदिक काल
ब्राह्मण ग्रंथ क्या हैं

ब्राह्मण ग्रंथ यज्ञों तथा कर्मकांडों के विधान और इनकी क्रियाओं को समझने के लिएआवश्यक होते हैं। इनकी भाषा वैदिक संस्कृत है। ब्रह्म शब्द का शाब्दिक अर्थ है यज्ञ अर्थात यज्ञ के विषयों का अच्छी तरह से प्रतिपादन करने वाले ग्रंथ । ये ग्रंथ गद्य में लिखे गये हैं । इनमें उत्तरकालीन समाज एवं संस्कृति के संबंध का ज्ञान मिलता है।इनमें यज्ञों के आनुष्ठानिक महत्व का उल्लेख है।सभी ब्राह्मणों में मोक्ष प्राप्ति के लिये यज्ञ पर बल दिया गया है। यह कर्मकांडीय ग्रंथ हैं। प्रत्येक वेद के अपने-2 ब्राह्मण होते हैं।
ऋग्वेदः
- ऐतरेय ब्राह्मणः इसमें राज्याभिषेक के नियम दिये गये हैं।
- कौषीतकि ब्राह्मण(शाखायन)
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सामवेदः
- प्रौढ(पंचविश) ब्राह्मण(तांडव )
- षडविश ब्राह्मण
- आर्षेय ब्राह्मण
- मंत्र ब्राह्मण(छान्दोग्य)-छान्दोग्य ब्राह्मण में जन्म, विवाह से संबंधित यज्ञों एवं कर्मकांड का उल्लेख मिलता है।
- जैमिनीय ब्राह्मण
यजुर्वेदः
- शुक्ल यजुर्वेद ः
- शतपथ ब्राह्मण
- कृष्ण यजुर्वेदः
- तैत्तिरीय ब्राह्मण
- मैत्रायणी ब्राह्मण
- कठ ब्राह्मण
- कपिष्ठल ब्राह्मण
अथर्ववेदः
- गोपथ ब्राह्मण(पिप्पलाद)
Reference : https://www.indiaolddays.com/