प्राचीन भारतइतिहासवैदिक काल

सामवेद संहिता

सामवेद में “साम” शब्द का अर्थ है “गान”

अर्थात हम कह सकते हैं कि सामवेद में ऋग्वैदिक मंत्रों को गाने योग्य बनाया गया है। इसमें 1875 ऋचाएँ हैं । तथा 75 सूक्तों को छोङकर शेष सूक्त ऋग्वेद से लिए गये हैं।

  • इसे प्राचीन भारतीय संगीत शास्त्र कहा जाता है।
  • सामवेद का प्रमुख देवता सविता (सूर्य) है , किन्तु सूर्य के अलावा इंद्र तथा सोम का भी वर्णन मिलता है ।
  • सामवेद को भारतीय संगीत का मूल  माना जाता है।
  • इस वेद का प्रथम द्रष्टा वेदव्यास के शिष्य जैमिनी को माना गया है।
  •  अनुष्ठान और हवन के समय सामवेद के मंत्र गाये जाते हैं।
सामवेद के 2 भाग हैं-
  1. आर्चिंक
  2. गान
सामवेद की 3 वाचनाएँ / संहिता-
  1. कौथुम संहिता (गुजरात)
  2. रामायणीय संहिता(महाराष्ट्र)
  3. जैमिनीय संहिता(कर्नाटक)

YouTube Video

सामवेद के पुरोहित –उद्गाता/उद्गातृ कहलाते हैं।

श्रीकृष्ण – “वेदों में मैं सामवेद हूँ।”

सामवेद का उपवेद – गंधर्ववेद।
सामवेद के ब्राह्मण ग्रंथ-
  • पंचविश ब्राह्मण (ताण्डव)
  • षडविश ब्राह्मण
  • जैमिनीय ब्राह्मण
  • छांदोग्य ब्राह्मण
सामवेद के उपनिषद-
  • छांदोग्य उपनिषद – कृष्ण , विष्णु से संबंधित ।
  • केन उपनिषद

Related Articles

error: Content is protected !!