मुगल शासक अकबर कालीन स्थापत्य कला

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अकबर कालीन इमारतें-
अकबर के शासन काल में बनी पहली इमारत दिल्ली में बना हुमायूँ का मकबरा है।यद्यपि इसके निर्माण में उसका कोई हाथ नहीं था।
हुमायूँ का मकबरा-
यह मकबरा ज्यामितीय चतुर्भुज आकार के बने उद्यान के मध्य एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित है।यह चार-बाग पद्धति में बना प्रथम स्थापत्य स्मारक था।
हुमायूँ के मकबरे का निर्माण 1565ई. में हुमायूँ की विधवा बेगा बेगम(हाजी बेगम) ने शुरू करवाया।
दोहरी गुंबद वाला यह भारत का पहला मकबरा है।
चार-बाग पद्धति का प्रयोग पहली बार हुमायूँ के मकबरे से हुआ वैसे भारत में पहला बाग युक्त मकबरा सिकंदर लोदी का मकबरा था।
इस मकबरे को ताजमहल का पूर्वगामी माना जाता है।
हुमायूँ के मकबरे में दफनाये गये मुगल घरानों के लोग इस प्रकार हैं-
बेगाबेगम,हमीदाबानू बेगम,हुमायूँ की छोटी बेगम, दारा शिकोह, जहांदारशाह, फर्रुखशियर, रफीउरद्दरजात,रफीउद्दौला और आलमगीर द्वितीय। दिल्ली के अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर और उसके तीन शहजादों को अंग्रेज लेफ्टीनेंट हड्सन ने 1857ई. में हुमायूँ के मकबरे से गिरफ्तार किया था।
इस मकबरे का निर्माण अकबर की सौतेली माँ हाजी बेगम ने फारसी वास्तुकार मीरक मिर्जा गयास की देख-रेख में करवाया था।
इस मकबरे की विशेषता-संगमरमर से निर्मित इसका विशाल गुंबद एवं द्विगुंबदीय प्रणाली थी।
यह मुगलकालीन एकमात्र मकबरा है जिसमें मुगलवंश के सर्वाधिक लोग दफनाये गये हैं।
इस मकबरे को ताजमहल का पूर्वगामी कहा गया है।
अकबर कालीन इमारतों में मेहराबी और शहतीरी शैली का समान अनुपात में प्रयोग मिलता है।
अकबर के काल में फारसी शैली का हिन्दू एवं बौद्ध शैलियों के साथ सम्मिश्रण हुआ।अकबर की अधिकांश इमारतों में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग मिलता है।
अकबर कालीन इमारतों को सुविधानुसार दो भागों में बाँटा जा सकता है।
आगरा में निर्मित इमारतें-
कबर कालीन आगरे में बनी इमारतों में बहुत थोङी बची हुई हैं, जिनमें अकबरी महल और जहांगीरी महल प्रमुख हैं।
अकबर ने (1565-73ई.) अपनी राजधानी आगरा में एक किला बनवाया।
आगरे के दुर्ग में निर्मित जहाँगीरी महल की नकल ग्वालियर के मानसिंह महल से ली गयी है। इस महल में हिन्दू और इस्लामी परंपराओं का समावेश मिलता है। अकबरकालीन इमारतों में गुंबदों के प्रयोग से बचने का प्रयास किया गया है।
अकबर कालीन फतेहपुर सीकरी में निर्मित इमारतें-
अकबर ने 1570-71ई. में फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाया और वहाँ पर अनेक भवनों का निर्माण करवाया। जिन्हें दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
- धार्मिक
- लौकिक
फतेहपुर सीकरी के भवनों की मुख्य विशेषता- चापाकार एवं धरणिक शैलियों का समन्वय है।
दीवाने आम और दीवाने खास लौकिक प्रयोग के लिये बनाये गये थे।दीवाने आम एक आयताकार प्रांगण था। इसी में बादशाह का सिंहासन रखा रहता था।इसकी मुख्य विशेषता –खंभे पर निकली हुई बरामदे की छत थी।
दीवाने खास एक घनाकार आयोजन था। इसके निर्माण में बौद्ध एवं हिन्दू वास्तुकला की झलक मिलती है।
राजपूत रानी जोधाबाई का महल फतेहपुर सीकरी का सबसे बङा महल था । इस पर उत्कीर्ण अलंकरणों की प्रेरणा दक्षिण के मंदिरों की वास्तुकला से ली गई है। इस पर गुजराती शैली का व्यापक प्रभाव दिखाई देता है।यह फतेहपुर सीकरी का सर्वोत्तम महल है।
पंचमहल या हवामहल-
यह पिरामिड के आकार का पाँच मंजिला महल था।यह नालंदा के बौद्ध विहारों की प्रेरणा पर आधारित था।
जामा मस्जिद-
फतेहपुर सीकरी की सबसे प्रभावोत्पादक इमारत थी। इसे फतेहपुर का गौरव कहा जाता था।संगमरमर की निर्मित इस मस्जिद को फर्ग्युसन ने पत्थर में रूमानी कथा के रूप में प्रशंसित किया है।
अपनी गुजरात विजय की स्मृति में अकबर ने इस मस्जिद (जामा मस्जिद) के दक्षिणी द्वार पर 134फीट ऊँचा एक बुलंद दरवाजा बनवाया । जिसके निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है।यह ईरान से ली गयी अर्द्ध – गुंबदीय शैली में बना है।
1585ई. में अकबर फतेहपुर सीकरी के स्थान पर लाहौर में निवास करने लगा और वहाँ पर उसने लाहौर के किले का निर्माण करवाया।
अबुलफजल ने अकबर की स्थापत्य कला में अभिरुचि की प्रशंसा करते हुए कहा है कि – उसने आलीशान इमारतों की योजना बनाई तथा अपने मस्तिष्क एवं ह्रदय की रचना को पत्थर एवं मिट्टी की पोशाक पहनाई।
इसके अतिरिक्त अकबर ने अनेक इमारतों का निर्माण करवाया जिसमें – तुर्की-सुल्ताना का महल, खास महल, मरियम-महल, बीरबल महल आदि प्रमुख हैं।
मरियम महल से मुगल चित्रकारी के विषय में जानकारी मिलती है।
तुर्की- सुल्ताना का महल- इतना सुंदर था कि पर्सी ब्राउन ने उसे स्थापत्य कला का मोती कहा है।
फर्ग्युसन ने ठीक ही कहा है कि- फतेहपुर सीकरी किसी महान व्यक्ति के मस्तिष्क का प्रतिबिम्ब है।
Reference : https://www.indiaolddays.com/