प्राचीन भारतइतिहासस्रोत
प्राचीन भारत के पुरातात्विक स्रोत

पुरातात्विक स्रोत
भारत में पुरातत्व संबंधी कार्य का आरंभ यूरोपियों ने किया था।
पुरातत्व के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए एलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व का जनक कहा जाता है।
- स्तंभ,ताम्र अभिलेेख ,शिलालेख
- सिक्के
- मुहर
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महत्वपूर्ण तथ्य :
- सबसे प्राचीन अभिलेेख मध्यएशिया का बोगजकोई का अभिलेेख है ।
- 1400 ई.पू. में यह अभिलेेख लिखा गया तथा इस अभिलेख पर इंंद्र,मित्र,वरूण आदि वैदिक देवताओं के नाम मिलते हैंं ।
- प्राचीन भारत मेंं सबसे ज्यादा अभिलेख माैर्य शासक अशोक के मिलते हैं।
- अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपी में हैं।
- अशोक के अभिलेख तीशरी शता.इसा पू. के हैं।
- उतरी पश्चिमी भारत के कुछ अभिलेेख जो अशोक के मिले वो खरोष्ठी लिपि में मिले हैं ।
- मास्की, गुर्जरा, निटूर तथा उदेगोलन.से प्राप्त अभिलेखों में अशोक के नाम का स्पष्ट उल्लेख है। इन अभिलेखों से अशोक के धम्म व राजत्व के अादर्श पर प्रकाश पङता है।
- लघमान एवं शरेकुना से प्राप्त अशोक के अभिलेख यूनानी और आरमेइक लिपियों में हैं।
- सर्वप्रथम 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेखों को पढा था ।
- दारा से प्रभावित होकर अशोक ने अभिलेख प्रचलित किए थे।
- सर्वाधिक अभिलेख मैसूर से मिले हैं।
- प्रारंभिक अभिलेख (गुप्त काल के पूर्व )प्राकृत भाषा में हैं लेकिन गुप्त और गुप्तोत्तर काल के अभिलेख संस्कृत भाषा में मिले हैं।
- यवन राजदूत हेलियोडोरस का बेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरुङ स्तंभ लेख में 2श.ई.पू.में भारत में भागवत धर्म के विकसित होने के साक्ष्य मिलते हैं।
- मघ्य प्रदेश के एरण से प्राप्त वाराह प्रतिमा पर हूणराज तोरमाण के लेखों का विवरण है।
- पर्सिपोलिस और बहिस्तून अभिलेखों से ज्ञात होता है कि ईरानी सम्राट दारा ने सिन्धु घाटी को अधिकृत कर लिया था।
- अभिलेखों में भारतवर्ष का उल्लेख हाथीगुम्फा अभिलेख, रेशम बुनकरों की जानकारी मंदसौर अभिलेख तथा सतीप्रथा के साक्ष्य भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिलते हैं।
- शिलालेखों का अध्ययन एपीग्राफी कहलाता है।
- सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशासत्र कहते हैं।
- प्राचीनतम सिक्के अाहत सिक्के (पंचमार्क सिक्के )कहलाते हैं। इन्हीं सिक्कों को साहित्य में काषार्पण कहा गया है। ये सिक्के 5 वी श,ई,पू, के हैं।इन सिक्कों पर पेङ, मछली, सांड,हाथी,अर्द्धचन्द्र आदि आकृतियां उत्कीर्ण हैं।
- आहत मुद्राअों की सबसे पुरानी निधियां पूर्वी उत्तर प्रदेशऔर मगध में प्राप्त हुई हैं।
- पुराने सिक्के तांबा,चांदी,सोना और सीसा धातु के बनते थे।
- आरंभिक सिक्के चाँदी के हैं।
- सातवाहनों ने सीसा के सिक्के चलाये ।
- गुप्त शासकों ने सर्वाधिक सोने के सिक्के चलाये।
- भारत में सर्वप्रथम सोने की मुद्रा का प्रचलन इण्डो-बैक्टियन ने किया था।
- सर्वाधिक सिक्के मौर्योत्तर काल के मिले हैं।
- आरंभिक सिक्कों पर चिन्ह मात्र मिलते हैं लेकिन बाद के सिक्कों पर राजाअों और देवताअों के नाम तथा तिथियां भी उल्लेखित हैं।
- सर्वप्रथम लेख वाले सिक्के इण्डो ग्रीक शासकों (हिन्द-यूनानी)शासकों के स्वर्ण सिक्के हैं।
- पकाई मिट्टी के बने सिक्कों के सांचे ईसा की आरंभिक तीन सदियों के हैं इनमें से अधिकांश सांचे कुषाण काल के हैं।
- प्राचीन भारत में कुषाण काल से मूर्तियों का निर्माण प्रारंभ हुआ था।
- भरहुत, बोधगया, और अमरावती की मूर्तिकला में जनसामान्य के जीवन की दशा ज्ञात होती है।
- मंदिरों तथा स्तूपों से भारतीय संस्कृती वास्तुकला शैली का परिचय मिलता है।
- अजंता के चित्रों से तत्कालीन जन-जीवन की अभिव्यक्ति होती है।
- हङपा , मोहनजोदङो से प्राप्त मुहरों से तत्कालीन धार्मिक स्थिति ज्ञात होती है।
- मर्तियों की निर्माण शैली में गांधार कला की शैली पर विदेशी प्रभाव दिखता है, जबकि मथुरा कला की शैली पूर्णतया स्वदेशी है।
- बसाढ से प्राप्त मिट्टी की मुहरों से व्यापारिक श्रेणियों की जानकारी मिलती है।
- कश्मीर के नवपाषाणिक पुरास्थल बुर्जहोम से गर्तावास का साक्ष्य मिला है जिनसे उतरने के लिए सीढियाँ होती थी।
- उत्तर -भारत के मन्दिर नागर शैली , दक्षिण के द्रविङ शैली तथा दक्षिणापथ के मंदिर वेसर शैली से निर्मित हैं।