मौर्य शासक अशोक के अभिलेख
अशोक का इतिहास हमें मुख्यतः उसके अभिलेखों से ही ज्ञात होता है। अब तक अशोक के 150 से ज्यादा अभिलेख 45 स्थानों से प्राप्त हो चुके हैं, जो देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बिखरे हुए हैं। जहाँ एक ओर ये अभिलेख उसकी साम्राज्य-सीमा के निर्धारण में हमारी मदद करते हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे उसके धर्म एवं प्रशासन संबंधी अनेक महत्त्वपूर्ण बातों की सूचना मिलती है।
मौर्य सम्राट अशोक का साम्राज्य विस्तार।
अशोक के अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्मी लिपि है।तथा अभिलेखों की भाषा प्राकृत मिलती है।कुछ अभिलेख विशेषकर उत्तर पश्चिमी क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं, जिनकी लिपि अरेमाइका एवं खरोष्ठी है। जैसे-
- शरेकुता,
- मानसेहरा,
- शाहबाजगढी।
गंधार से द्विभाषी अभिलेख मिला हैं जो यूनानी, अरेमाइक भाषा का है।
जेम्स प्रिसेंप ने प्रथम बार ब्राह्मी लिपि को सफलतापूर्वक पढा। (1837 ई. में)
टील पेंथर ने अशोक का पहला अभिलेख खोजा था। (1750 ई. में)
वे अभिलेख जिनमें अशोक की उपाधि न मिलकर केवल अशोक का नाम मिलता हैं, वे निम्नलिखित हैं-
- मास्की अभिलेख (कर्नाटक),
- उदयगोलम्(आंध्रप्रदेश),
- नेतूर (आंध्रप्रदेश),
- गुर्जरा(कर्नाटक)
इन अभिलेखों का इतना अधिक महत्त्व है, कि डी.आर.भंडारकर जैसे एक चोटी के विद्वान ने केवल अभिलेखों के आधार पर ही अशोक का इतिहास लिखने का प्रयास किया है। कहा जा सकता है, कि यदि ये अभिलेख प्राप्त नहीं होते तो अशोक जैसे महान् सम्राट के विषय में हमारा ज्ञान सर्वथा अधूरा रहता।
सर्वप्रथम 1837 में जेम्स प्रिंसेप (James Prinsep)नामक विद्वान ने अशोक के लेखों का उद्वाचन किया । किन्तु उन्होंने लेखों के देवानांपिय की पहचान सिंहल के राजा तिस्स से कर डाली। कालांतर में यह तथ्य प्रकाश में आया, कि सिंहली अनुश्रुतियों – दीपवंश तथा महावंश में यह उपाधि अशोक के लिये प्रयुक्त की गयी है।
प्रथम बार 1905 में टर्नल महोदय ने देवानांपिय की पहचान मास्की अभिलेख के आधार पर अशोक से की है।
अशोक के अभिलेखों का विभाजन निम्नलिकित वर्गों में किया जा सकता है-
- शिलालेख,
- स्तंभलेख,
- गुहालेख।
Reference : https://www.indiaolddays.com/